मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने फर्जी पावर ऑफ अटार्नी मामले में बड़ा कदम उठाया है। अब तक 2 जिलों के 7 सब रजिस्ट्रार को निलंबित किया जा चुका है। गंभीर अनियमितताओं को देखते हुए गाजियाबाद के भी 4 सब रजिस्ट्रार निलंबित किए जा चूकें हैं। दरअसल, गाजियाबाद सदर तहसील के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में काफी लंबे समय से फर्जी पावर ऑफ अटार्नी का खेल चल रहा था। इसकी जानकारी होने के बाद जांच शुरू कर दी गई है।
गौरतलब है कि गौतम बुद्ध नगर, मुरादाबाद, गाजियाबाद समेत कई जिलों में पावर ऑफ अटॉर्नी (मुख्तारनामा) के पंजीकरण में अनेकों शिकायतें मिल रही थीं। जिसके बाद शासन ने पावर ऑफ अटार्नी जारी करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी और जांच का आदेश दिया गया था। एसआईटी ने जब जांच की तो अनियमितताओं की परतें लगातार खुलती चली गईं।
स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने खुलासा किया था कि नोएडा, गाजियाबाद जैसे जिलों में ही 3 महीने के भीतर 25 हजार से ज्यादा पावर ऑफ अटॉर्नी कराई गईं। ऐसे में संदेह होने लगा और विशेष जांच दल रखी गई और इसी के साथ पड़ताल भी शुरू की गई।
खुलासा हुआ और पता चला कि नोएडा, गाजियाबाद और वेस्ट यूपी में कुछ और जिलों में संपत्तियों की पावर ऑफ अटार्नी दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद समेत कई जिलों के लोगों की ओर से कराई गई थी। उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार जैसे जिलों में पावर ऑफ अटॉर्नी के तार जुड़ते हुए नजर आए। इसका खुलाश पहले भी हुआ था कि उत्तराखंड और अन्य पड़ोसी राज्यों के लोग बड़े पैमाने पर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली जैसे जिलों में तमाम संपत्तियों का मुख्तारनामा करवा रहे हैं। लेकिन संपत्ति का ऐसे गलत ढंग से ट्रांसफर करना है।
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