Wrestlers Case: भारतीय महिला पहलवानों को उत्पीड़ित करने के मामले में दिल्ली की एक कोर्ट ने रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व चेयरमैन और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद बृजभूषण शरण सिंह और कुश्ती फेडरेशन के पूर्व असिस्टेंट सेक्रेटरी विनोद तोमर के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व चेयरमैन बृजभूषण और विनोद तोमर पर चार्जशीट दायर कर दी गई है, जिसमें उनके खिलाफ यौन शोषण के आरोप शामिल हैं। कोर्ट ने बृजभूषण को समन जारी कर दिया है और दोनों उपयुक्तियों को 18 जुलाई को कोर्ट में पेश होने के लिए आदेश दिया है।
यहां लगाए गए आरोपों में पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ IPC की धारा 354, 354-A और 354 D और सह-आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ IPC की धारा 109, 354, 354 (A), 506 के तहत आरोप लगाए हैं।
धारा 354 में अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान है, जो गैर-जमानती धारा है। 354A के तहत अधिकतम एक साल की सजा का प्रावधान है, जो जमानती धारा है। वहीं, धारा 354D में अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान है, जो जमानती धारा है।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से चार्जशीट पर सीडीआर रिपोर्ट मांगी थी। इस मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 1 जुलाई को बताया था कि चार्जशीट 1,500 पेज की है, इसलिए इसे पढ़ने में समय लग रहा है।
15 जून को चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें छह बार के सांसद बृज भूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी और पीछा करने के आरोप शामिल थे। पहलवानों ने इस साल जनवरी में बृज भूषण के खिलाफ धरना शुरू किया था। इसके बाद अप्रैल में पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए उतर गए थे। पहलवानों को नई दिल्ली में पुलिस ने कुछ समय के लिए हिरासत में भी लिया था। हालांकि, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के आश्वासन के बाद पहलवानों ने अपना विरोध स्थगित कर दिया था।
पहलवानों के खिलाफ लगे यौन शोषण के आरोप बहुत गंभीर माने जाते हैं और इसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने उपयुक्तियों को समन जारी किया है। यह मामला महिला सुरक्षा के मामले में काफ़ी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जहां महिलाओं को अपने अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण की आवश्यकता होती है।
यह मामला यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी अपराधी न्याय के सामने खुलकर उभरने से पहले सख्तता से जांचा जाए और आपराधिक कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही, इस मामले की गंभीरता दिखाता है कि महिला पहलवान भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा रही हैं और उन्हें समाज में सम्मान प्राप्त करने का मौका मिलना चाहिए।
इस मामले में न्यायिक प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट की योजना और पुलिस की सहयोगी भूमिका महत्वपूर्ण हैं। आजकल, महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को महसूस करवा दिया है, और पहलवानी क्षेत्र में भी वे अपनी अद्वितीय पहचान बना रही हैं।
अंत में, यह मामला दिखाता है कि महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक हैं, और इसके लिए हमें संघर्ष करना चाहिए। महिला पहलवानों के मामले में न्यायिक प्रक्रिया की तेजी, संगठनित पुलिस कार्रवाई और सामाजिक समर्थन के माध्यम से हम एक सुरक्षित और समानित समाज की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
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