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World : चीन में मुसलमानों से क्रूरता पर मुस्लिम देशों की चुप्पी की क्या है वजह?

 

दुनिया के किसी भी देश में मुसलमानों पर कथित अत्याचार होता है तो मुस्लिम बहुल देश खुलकर इस पर आपत्ति जताते हैं। भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा को लेकर भी पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देश उंगली उठाते रहे हैं लेकिन दुनिया का एक देश ऐसा भी है जहां पर मुसलमानों का खुलकर उत्पीड़न किया जा रहा है पर मजाल है कि कोई मुस्लिम देश उसके खिलाफ बोल सके। दरअसल चाइना में मुसलमानों का बद से बदतर हशर किया जा रहा है, लेकिन 56 के 56 मुस्लिम देश चुप हैं। अब सवाल यह है कि इतने सारे मुस्लिम देश मिलकर भी चाइना के खिलाफ कुछ भी बोलने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं।

2012 की बात है जब मुंबई के आज़ाद मैदान में मुसलमानों की एक भारी भीड़ इकट्ठा हुई और कई करोड़ की सरकारी संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया था। इस बवाल में दो लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग बुरी तरह से ज़ख्मी हो गए। जिनमें से ज़्यादातर लोग पुलिस प्रशासन के थे लेकिन जब आप मुसलमानों की इस भीड़ की इस हरकत के पीछे की वजह जानेंगे तो दंग रह जाएंगे। मुसलमानों का यह गुस्सा सिर्फ इसलिए फूटा क्योंकि दुनिया के दूसरे मुल्कों में मुसलमानों का उत्पीड़न किया जा रहा था। हमें उम्मीद है कि अब आप समझ चुके होंगे कि जब इनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए जाते हैं तो आखिर क्यों उठाई जाते हैं।

चाइना के उइगर मुसलमानों का क्या हाल है यह किसी से भी छिपा नहीं है। कुछ ताज़ा रिपोर्ट्स के मुताबिक, चाइना यहां मस्जिद तोड़ो अभियान में जुटा हुआ है। लगभग हर रोज कई मस्जिदें ध्वस्त की जा रही हैं लेकिन दुनिया के 56 मुस्लिम देशों ने शायद अपनी आंखें मूंद ली हैं। उइगर मुसलमानों की औरतों को हिजाब पहनने पर रोक लगा दी गई है। मुस्लिम मर्दों को दाढ़ी रखने पर बैन लगा दिया गया है। यहां तक कि रमजान के पाक महीने में रोज़ा इफ्तार के आयोजन पर भी बैन लगा हुआ है लेकिन मुस्लिम देशों को यह दिखाई नहीं देता।

अगर भारत में ऐसा होता तो... 

पाकिस्तान में इस्लाम के नाम पर कई चरमपंथी संगठन हैं लेकिन इन चरमपंथी संगठनों की हिम्मत नहीं कि वह चाइना के खिलाफ कोई बयानबाज़ी कर दें। इसके अलावा जब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हुआ करते थे तो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनसे सवाल किया गया कि चाइना में मुसलमानों को खुलेआम टॉर्चर किया जा रहा है। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है तो इस पर इमरान खान खामोश ही रह गए। दरअसल, पाकिस्तान और चीन की दोस्ती जगज़ाहिर है। चीन-पाकिस्तान में चाइना पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर के तहत 60 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। दूसरी तरफ़ पाकिस्तान पर चीन के अरबों डॉलर के क़र्ज़ भी हैं। तीसरी बात यह है कि पाकिस्तान कश्मीर विवाद में चीन को भारत के ख़िलाफ़ एक मज़बूत पार्टनर के तौर पर देखता है। ऐसे में पाकिस्तान चीन में उइगर मुसलमानों के ख़िलाफ़ चुप रहना ही ठीक समझता है।

सऊदी अरब में मक्का-मदीना है और यह दुनिया भर के मुसलमानों के पवित्र स्थल हैं। सऊदी ख़ुद मुसलमानों का प्रतिनिधि देश मानता है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान ने कुछ साल पहले जब चाइना के दौरे से लौटने के बाद भारत का रुख किया था तो उनसे चीन में मुसलमानों को नज़रबंदी शिविरों में रखे जाने पर सवाल पूछे गए तो उन्होंने चीन का बचाव किया था। उन्होंने कहा था कि चीन को आतंकवाद के ख़िलाफ़ और राष्ट्र सुरक्षा में क़दम उठाने का पूरा अधिकार है। मतलब सलमान ने इसे आतंकवाद और अतिवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई क़रार दिया था लेकिन यही सऊदी अरब ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन में भारत प्रशासित कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता रहा है। जिसके चलते सवाल यह खड़ा होता है कि सऊदी अरब चीन में मुसलमानों के ख़िलाफ़ अत्याचार का समर्थन क्यों कर रहा है? 

आपको जानकर हैरानी होगी कि चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार को लेकर अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कई देश बोलते रहे हैं लेकिन 56 मुस्लिम देश ख़ामोश रहना ही ठीक समझते हैं। यही ख़ामोशी भारत में रहने वाले मुसलमानों ने भी अख्तियार कर रखी है। इसके अलावा खामोश हमारे देश के वो नेता भी हैं जो मुसलमानों के हिमायती बनते हैं और खामोश वह मेनस्ट्रीम मीडिया भी है जो दो गुटों के बीच की मारपीट को लिंचिंग बताने में पीछे नहीं हटती।

 

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