“लखनऊ एक शहर और बाज़ार नहीं
ये गुंबद-ए-मीनार नहीं
इसकी गलियों मे मोहब्बत के फूल खिलते हैं
इसके कूचों मे फरिश्तों के पते मिलते हैं”
ये शब्द थे लखनऊ के मरहूम इतिहासकार योगेश प्रवीण के...............
अमा मुस्कुराइये आप लखनऊ मे हैं, ठहरिए जरा शायद आपको ये लाइन सुनने को अब न मिले,
आप सोच रहे होंगे ऐसा क्या हो गया भैया तो आपको बता दें की सियासी गलियारों मे लखनऊ के नाम को बदलने की बात चल रही है।
नाम बदलने को लेकर शहर कुछ सियासी अखाड़े मे तब्दील होता नजर आ रहा है, किसी के लिए लक्ष्मणपुरी, किसी के लिए लखनपुरी, और अब विवादों से घिरे समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस बहस को एक अलग रुख देने की तैयारी कर ली है।
आपको बता दें, यूपी की राजधानी लखनऊ का नाम बदलने को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि
लखनऊ का नाम लक्ष्मण की वजह से नहीं, बल्कि लखनऊ के राजा लखन पासी की पत्नी लखनावती के नाम पर पड़ा है , अगर नाम बदलना ही है तो नया नाम ‘लखन पासी’ कर दो.”
मगर क्या आप जानते हैं,लखनऊ के नाम बदलने की बहस आज ही नही बल्कि कई साल पहले भी शुरू हुई थी?
साल था 1965 , तारीख थी 3 फरवरी, जब लखनऊ के मेयर बीआर मोहन ने लखनऊ का नाम बदल कर लक्ष्मणपुरी करने का प्रस्ताव किया था, उस समय के एक इतिहास के ज्ञाता, व पूर्व मेयर और पूर्व एमएलसी डॉ दाऊ जी गुप्त ने लंदन लाइब्रेरी से इतिहास की किताबें निकलवाकर, बताया कि लखनऊ को महाराजा लखन पासी ने बसाया था। उन्होंने लिखा लक्ष्मण लखनऊ के देवता हो सकते हैं परंतु निर्माता नहीं।
पर आख़िर कौन हैं लखन पासी ?
बात उस समय की है जब लखनऊ पर नवाबों का सिक्का नहीं चलता था, पूरे भारत मे अरबों और अफ़गानियों का आक्रमण चल रहा था, अगर हम इतिहास के पन्ने टटोले, तो मिलेगा कि दसवीं-ग्यारहवी शताब्दी मे लखन पासी लखनऊ के राजा थे, उनकी पत्नी का नाम लखनावती था जिसके नाम पर लखनऊ का नाम पड़ा।
उनका शासन काल 1000 से 1033 के बीच रहा ,उन्होंने अपने राज मे मच्छी भवन ,राज निवास आज टीले वाली मस्जिद और पूरे लखनऊ मे लखौडी ईंटों से 71 द्वार बनवाए थे। जिसमे से कुछ आज भी मौजूद हैं जैसे कचहरी के पास का गेट , बलरामपुर अस्पताल के पास टुड़िया गंज मे।
ऐसा माना जाता है कि जब लखनऊ पर लगातार शेखों का हमला हो रहा था, तब लखन पासी ने उन्हे लगातार की बार हराया। कई बार राजा से हारने के बाद शेखों ने एक योजना बनाई, उन्होंने व्यापारियों का भेष धारण करके राजा पर तब प्रहार किया जब उनकी सेना निहत्थी थी, शेखों ने जब राजा को पकड़ कर जब उसे अपने अधीन रखने को कहा तो लखन पासी ने इनकार कर दिया, लोगों मे भय भरने के लिए लखन का सर कलम करके मच्छी द्वार से लटका दिया गया।
आपको बता दें जब बात इतिहास की होती है, तो इसमे इतिहासकारों के भी अपने अपने मत होते है, पौराणिकता के हिसाब से भगवान राम के भी लक्ष्मण के नाम से इस शहर का नाम लक्ष्मनपुर पड़ा जो की नवाबों के समय लखनौ और फिर आगे चल कर लखनऊ हो गया।
By -शिवांग श्रीवास्तव
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