Breaking News :

गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी को मारने वाला विजय यादव कौन ?

 

उत्तर प्रदेश में एक अलग ही गेम चालू है। कोई पत्रकार के भेष में आता है और उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े डॉन का कत्लेआम कर देता है तो वहीं कोई वकील की पोशाक में आकर मुख्तार अंसारी जैसे नामी-ग्रामी माफिया डॉन के खास चेले को मारकर सनसनी फैला देता है। हम बात कर रहे हैं विजय यादव की जो मौजूदा समय में पुलिस के लिए नासूर बन चुका है क्योंकि उसने अदालत जैसे न्याय के मंदिर में इतने कड़े सुरक्षा पहरे के बावजूद इतने बड़े हत्याकांड को खुलेआम अंजाम दे दिया।

मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की लखनऊ कोर्ट रूम में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर विजय यादव वकील के भेष में कोर्ट पहुंचा था, जिसने पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच इस वारदात को अंजाम दिया था। हालांकि, भागते समय विजय यादव को वकीलों ने मौके से धर दबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया। अब सबके मन में यही सवाल है कि इतने बड़े गैंगस्टर को मारने वाला यह विजय यादव आखिर कौन है?

पुलिस की तफ्तीश में जो अब तक जानकारी सामने आई है। वह बताती है कि विजय यादव उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सुल्तानपुर गांव का रहने वाला है। सुल्तानपुर गांव आजमगढ़ जिले की सीमा से सटा हुआ है। विजय यादव के पिता श्यामा यादव किसान हैं। उनके चार बेटों में विजय दूसरे नंबर का है। पिछले दो महीने विजर लखनऊ में रहकर पेयजल पाइप लाइन डालने का काम कर रहा था। इससे पहले विजय मुंबई में था... मुंबई में वो एक स्टील कंपनी में मजदूरी का काम करता था... 

विजय यादव के पिता श्याम यादव के मुताबिक, पिछले 15 दिनों से विजय का मोबाइल फोन बंद था और परिवार के किसी भी सदस्य से उसका कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था... विजय से संपर्क ना होने के चलते हम काफी परेशान थे लेकिन, हमें क्या पता था कि वह ऐसा कुछ करने वाला है।

विजय यादव जरायम की दुनिया में कैसे पहुंचा, इसकी जानकारी न तो उसके परिवार वालों को है ना ही गांव के लोगों को। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय यादव की शुरुआती पढ़ाई जौनपुर से हुई है। विजय ने साल 2012 में 10वीं की परीक्षा पास की थी। उसके बाद जौनपुर से इंटर और यहीं के मोहम्मद हसन पीजी कॉलेज से बीकॉम किया। पढ़ाई के दौरान विजय का किसी लड़की के साथ प्रेम संबंध हो गया और दोनों भाग गए। इस मामले में किशोरी के परिजनों ने साल 2016 में विजय के खिलाफ देवगांव थाने में ही पॉक्सो एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था। करीब तीन माह के बाद मुंबई से पुलिस ने दोनों को बरामद किया।

इस मामले में विजय यादव कुछ दिनों तक हवालात में रहा था। विजय की मां निर्मला ने बताया कि इस मामले में अब सुलह हो चुकी है और वह करीब छह माह बाद घर आया था। विजय की क्राइम हिस्ट्री खंगाल रही पुलिस ने बताया कि उसके खिलाफ कोई बड़ा आपराधिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है। हालांकि, अभी तक विजय यादव के खिलाफ केवल दो मुकदमों का ही पता चला है जिसमें पहला आजमगढ़ के देवगांव में पॉक्सो एक्ट और दूसरा 2020 में महामारी एक्ट के तहत केराकत में दर्ज किया गया था।

बहरहाल, इतने बड़े गैंगस्टर को मारने के बाद विजय यादव का नाम ट्रेंडिंग में चल रहा है। वैसे एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि युवाओं में गैंगस्टर बनने का फितूर इतना क्यों उठा रहा है? 

Add Comment

Most Popular