देश मे कुछ समय से खलिस्तान की आग फिरसे सुलगती दिखाई पड़ रही है। बीते शुक्रवार पंजाब के अमृतसर मे जमकर हंगामा हुआ। जब एक पुलिस थाने पर एक हथियारबंद भीड़ ने हमला कर दिया। हिंसक भीड़ मे शामिल लोगों ने पुलिस पर तलवारों से हमले किए कुछ के हाथों मे बंदूकें भी थी। आपको बता दें, पूरा मामला एक देशद्रोह, हिंसा की साजिश के आरोपी लवप्रीत तूफान पर दर्ज़ केस को हटाने के लिए था जो कि वारिस पंजाब दे का जत्थेदार अमृतपाल सिंह का एक साथी है। मगर शनिवार को पंजाब पुलिस एक्शन के मोड के बजाए अमृतपाल सिंह के आगे झुकी नजर आई, पुलिस ने कोर्ट मे अमृतपाल के साथी लवप्रीत तूफान पर लगे केस को वापस ले लिया है और उसकी रिहाई के आदेश जारी हो गए।
पर आखिर कैसे एक शक्श इतना ज्यादा ताकतवर हो गया जिसने अपने विरोध के बल पर कानून को अपने सामने झुका दिया और ये नाम देश नाम रातों-रात देश की मीडिया पर छा गया।
एक मीडिया चैनल से बात-चीत मे वो कहता है कि “हिंसा बड़ी पवित्र चीज होती है, 1947 के पहले कोई भारत नहीं था। मैं भारत की परिभाषा से सहमत नहीं हूँ। पंजाब अलग है,यहाँ एक अलग तरह की ऊर्जा है ,पंजाब एक अलग देश है।
29 साल का ये नौजवान और इसका संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ भारत से पंजाब को अलग कर खलिस्तान बनाने की मांग करता है। वारिस पंजाब दे की कड़ी जुड़ती है, पंजाब के अभिनेता दीप सिद्धू से जिसकी मौत फरवरी 2022 मे एक कार दुर्घटना से हो गई थी । दीप सिद्धू तब सुर्खियों मे आया था जब 26 जनवरी 2022 को लाल किले पर खालसा पंथ का झण्डा फहराया था। दीप सिद्धू ने “वारिस पंजाब दे की नींव रखी थी। 4 महीने पहले वारिस दे पंजाब की कमान अमृत पाल ने संभाली।
लोगों का मानना है अमृतपाल के तेवर उन्हे किसी की याद दिलाते हैं, कद-काठी, कपड़े और सर पर पहनी पग सब कुछ 80 के दशक के एक नाम जनरेल सिंह भिंडरांवाले की। एक धार्मिक उपदेशक के रूप में सफर शुरू करने वाला भिंडरांवाला आगे चल कर आतंकी बन गया। खलिस्तान बनाने के इरादे के लिए उसने पूरे पंजाब को आग मे झोंक दिया और आखिर मे जाकर अकाल तख्त पर कब्जा कर लिया । जिसके खिलाफ प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की घोषणा की, जिससे सिखों का सबसे पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर छावनी बन गया । आतंकियों और सेना के बीच गोलाबारी हुई गया। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान सेना के 83 जवान शहीद हुए और 249 घायल हो गए। सरकार के अनुसार, हमले में 493 आतंकवादी और नागरिक मारे गए। कुछ समय बाद स्वर्ण मंदिर पर हुए इस हमले की वजह से प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को मार दिया गया।
पंजाब फिरसे खलिस्तान की उस आग मे झुलसता दिखाई पड़ सकता है, एक बयान मे अमृतपाल ने अमित शाह को इंदिरा गांधी जैसा खामियाजा भुगतने की धमकी तक दी है। वो कहता है ‘हमारे पूर्वजों ने इस धरती पर अपना खून बहाया है। कुर्बानी देने वाले इतने लोग हैं कि हम उंगलियों पर गिना नहीं सकते। इस धरती के दावेदार हम हैं। इस दावे से हमें कोई पीछे नहीं हटा सकता। न इंदिरा हटा सकी थी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है। दुनिया भर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे, लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे।’
अमृतपाल के आलोचकों का कहना है कि वह जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तरह अपने भाषण से युवाओं को आतंक की ओर ले जा सकता है और ऐसे रास्ते पर ले जा सकता है जहां बर्बादी और जान गवाने के सिवा कुछ नहीं है।
अब देखना होगा सरकार किस तरह से ऐसी अलगाववादी आग से लड़ती है, और इस दोबारा बोतल से बाहर आ रहे खलिस्तान के जिन्न को कैसे रोकती है?
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