पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार जोर पकड़ रहा है।त्रिपुरा में विधानसभा सीटों पर 16 फरवरी को वोटिंग कि प्रक्रिया शुरू कि जाएगी,जिसका रिजल्ट 2 मार्च को घोषित किया जाएगा.चुनाव के करीब आते ही मुख्य दलों ने चुनाव प्रचार कि प्रक्रिया तेज़ कर दी है.
हाल में समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने त्रिपुरा विधानसभा चुनाव,उत्तर-पूर्व की राजनीति, जनजाति समाज से लेकर देश में उठ रहे तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी, उन्होंने मुग़लों से जुड़े नामों को बदलने की राजनीति का भी खुलासा किया.
हम मुग़लों के योगदान को हटाना नही चाहते, मगर देश की परंपरा भी है जरुरी -
शाह से जब शहरों के नाम बदलने को सवाल पूछा गया तो उन्होंने मुगलों के इतिहास को मिटाने और उनसे जुड़े शहरों के नाम बदलने के आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कहा, हम मुगलों के योगदान को नहीं हटाना चाहते हैं लेकिन इस देश की परंपरा को अगर कोई स्थापित करना चाहते हैं तो इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए. हमारी सरकारों ने जो फैसला किया है उसका राज्यों के पास वैधानिक अधिकार है.
उत्तर-पूर्व को किया चरमपंथियो से मुक्त -
हमारी सरकार के प्रयासों ने त्रिपुरा से हिंसा को खत्म कर दिया. अब तक 8000 से ज्यादा उग्रवादियों ने सरेंडर कर दिया. आज नॉर्थईस्ट में शांति है. हमारी सरकार ने उग्रवादियों से कई तरह के समझौते किये हैं जिसके परिणामस्वरुप आज पूरे उत्तर पूर्व में शांति है.इतना ही नहीं हम ड्रग्स का काम करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रहे हैं.
विप्लव देव को हटाया नही गया बल्कि उनका प्रमोशन हुआ है -
विप्लव देव को हटा कर माणिक साहा को त्रिपुरा की कमान सौपने पर दी सफ़ाई देते हुए शाह ने कहा कि बीजेपी में भी जब केंद्रीय राजनीति में नेताओं की जरूरत होती है, तो उन्हें राज्यों से लेकर आया जाता है. बिप्लब देब को राज्यसभा में भेजने का फैसला पार्टी हाई कमान का है,साथ ही उन्हें हरियाणा जैसे बड़े राज्य का प्रभारी भी बनाया गया है, साथ ही त्रिपुरा में भी वे मुख्यमंत्री माणिक साहा के प्रचार में अपना योगदान दे रहे हैं.
कांग्रेस है पीएफआई जैसे संगठनों की हिमायती-
मिलिटेंसी और पीएफआई जैसे संगठनों गृह मंत्री ने कहा कि हमने पीएफआई पर बैन लगाया है. मैंने पिछले दिनों कहा था कि कांग्रेस ने पीएफआई कैडर के खिलाफ लगे अलग अलग केसों को खत्म करने का प्रयास किया. कोर्ट ने इसपर रोक भी लगाई. मैंने सच बोला है, इसमें पता नहीं कांग्रेस नेताओं को इसमें बुरा लग रहा है.
पिछले चुनाव में रचा इतिहास इस बार दोहराएंगे-
प्रदेश में बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इतिहास रच लेफ्ट की लगातार 25 साल से काबिज सरकार को उखाड़ फेंका था। पिछले चुनाव में भाजपा ने 35 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा की सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि सीपीएम सिर्फ 16 सीटों पर ही सिमट गई थी। इस बार भी जीत बीजेपी को ही हासिल होगी.
आपको बता दें त्रिपुरा की सभी 60 विधानसभा सीटों पर 16 फरवरी को चुनाव होगा। वहीं, नगालैंड-मेघालय में 27 फरवरी को मतदान होगा। तीनों ही राज्यों के चुनाव नतीजों की घोषणा 2 मार्च को होगी.
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