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यूपी के इस गांव में सरकारी पेयजल संसाधनों के सूख चुके हलक, लोग पलायन को मजबूर

 

यूपी के सहारनपुर में पानी के लिए तहसील बेहट क्षेत्र के घाड़ इलाके में हाहाकार मचा है। प्रचंड गर्मी में इंसानों से लेकर जानवर तक बेहाल हैं। सरकारी पेयजल संसाधनों के हलक सूख चुके हैं। हालात यह हैं कि प्यास बुझाने के लिए यहां लोगों को दूर दराज से पानी सिर पर ढोना पड़ रहा है। इस समस्या को चुनाव में मुद्दा बनाया जाता है, लेकिन चुनाव के बाद जनप्रतिनिधि भी भूल जाते हैं। घाड़वासी दशकों से परेशानी से जूझ रहे हैं।

मंगलवार को पेयजल की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे घाड़ इलाके की वास्तविक स्थिति अमर उजाला ने देखी तो चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई। गांव कोठड़ी बहलोलपुर, खुवासपुर, हिंदूवाला, कासमपुर आदि गांवों में पिछले 15 दिन से पेयजल का गंभीर संकट बना है।

शिवालिक जंगल से सटी ग्राम पंचायत कोठड़ी बहलोलपुर के छह मजरे हैं। इनमें 35 सरकारी हैंडपंप है, जिनमें ज्यादातर खराब पड़े हैं। सउद, फारुख, शमीम, शमशाद ने बताया कि हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया है।

पिछले 15 दिन से पेयजल परियोजना से भी तकनीकी खराबी के चलते आपूर्ति नहीं हो रही है। दूर-दूर से शिवालिक जल स्रोतों से पानी लाकर अपनी और मवेशियों की प्यास बुझानी पड़ रही है। बड़कलां में भी ऐसे ही हालत देखने को मिली है। यहां छह हैंडपंप खराब पड़े हैं। 

16 साल बाद भी नहीं बना वाटर टैंक

गांव खुवासपुर व हिंदूवाला में पेयजल की जबरदस्त किल्लत बनी है। यहां वर्ष 2007 में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. जगदीश राणा के प्रयासों से जल निगम द्वारा ट्यूबवेल लगवा दिया था, लेकिन 16 साल बीत जाने के बाद भी वाटर टैंक का निर्माण और पेयजल पाइप लाइनें नहीं डाली गई।

इस ट्यूबवेल से पेयजल की आपूर्ति कराने के लिए इसे 40 साल पुरानी पाइप लाइनों से जोड़ दिया गया, जो जर्जर हालत में है और जगह-जगह से लीकेज है। गांव वालों तक इसकी पेयजल की सप्लाई नहीं पहुंच पाती। गांव कासमपुर की अनुसूचित बस्ती के तीन हैंडपंप कई माह से खराब पड़े है। इसके चलते बस्ती में पेयजल संकट है।

हर साल गर्मियां शुरू होते ही घाड़ क्षेत्र में पेयजल संकट गहराने लगता है। सरकारी संसाधनों अलावा प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगते हैं। क्षेत्र में जलस्तर 350 से 400 फिट पर है। इसलिए यहां के लोगों के लिए अपने निजी संसाधन का इंतजाम करना भी मुश्किल काम है।

शिवालिक जंगल में रहने वाले वन गुर्जर भी इस भीषण गर्मी में पानी के लिए भटक रहे हैं। सहंश्रा व शाकंभरी खोल में शिवालिक जल स्रोतों के सूखने से यहां रहने वाले लोग पेयजल किल्लत के चलते पलायन की तैयारी में हैं।

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