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Varanasi : 7.5 करोड़ रुपये की नकली दवाएं बरामद, हैरान करने वाले कई खुलासे

 

ब्रांडेड कंपनियों के नाम से नकली दवाएं बेचने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है जिसमें हैरत करने वाले कई खुलासे हुए हैं। यूपी एसटीएफ ने सिगरा और लहरतारा स्थित गोदाम से 300 पेटी नकली दवाएं बरामद की हैं। जिसकी कीमत 7.5 करोड़ रुपये बताई जा रही है।

आरोपी बुलंदशहर जिले के सिकंदराबाद स्थित टीचर्स कॉलोनी निवासी अशोक कुमार है। सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस पर गैंगस्टर एक्ट और रासुका की भी कार्रवाई होगी। इस मामले में 15 अन्य आरोपियों की तलाश में छापे मारे जा रहे हैं। आरोपी अशोक कुमार हाईस्कूल फेल है। पूछताछ में उसने कई खुलासे किये हैं। 

आरोपी ने बताया कि वह बुलंदशहर में गद्दा बनाने वाली फैक्ट्री में मजदूरी करता था। 7 वर्ष तक ऑटो रिक्शा भी चला चुका है लेकिन, नकली दवाओं की आपूर्ति में मोटा मुनाफा देखकर पूर्वांचल आ गया। एसटीएफ के एडिशनल एसपी ने बताया कि अशोक कुमार ने बुलंदशहर के सिकंदराबाद स्थित किसान इंटर कॉलेज में दाखिला लिया था। 

वर्ष 1987 में हाईस्कूल की परीक्षा दी थी, लेकिन फेल हो गया था। वर्ष 2003 से 2010 के ऑटो चलाता रहा, फिर गद्दा बनाने की फैक्ट्री में 12 हजार रुपये प्रतिमाह पर मजदूरी करने लगा। लापरवाही पर काम से हटा दिया गया तो वह फिर ऑटो चलाने लगा। इसी दौरान उसकी मुलाकात बुलंदशहर के नीरज से हुई। 

नीरज नकली दवाओं का काम करता था। नीरज के यहां ही वह माल ढुलाई करने लगा। वहीं उसे नकली दवाओं के कारोबार की जानकारी हुई। इसके बाद नीरज से ही नकली दवाओं को खरीद कर झोलाछाप को बेचने लगा। नीरज की नकली दवाएं वर्ष 2019 में अमरोहा में पकड़ी गईं थीं। प्रकरण को लेकर विवाद बढ़ा तो अशोक कुमार ने उसका साथ छोड़ दिया।

एसटीएफ के मुताबिक, अशोक तीन वर्ष पहले ही वाराणसी आया और कैंट रोडवेज बस स्टेशन के पीछे की चर्च कॉलोनी में किराये पर कमरा ले लिया। इसके बाद उसने हिमाचल प्रदेश के उन लोगों से संपर्क किया, जिनसे कि बुलंदशहर का नीरज नकली दवाएं खरीदता था। 

दवाएं मंगाकर बसों में सामान रखने वाले कुलियों के माध्यम से उन्हें प्रदेश के अलग-अलग जिलों और अन्य राज्यों में भेजता था। नकली दवाओं की आपूर्ति से उसे तगड़ा मुनाफा होता था। जिस नकली दवा पर कीमत 100 रुपये दर्ज है, वह उसे हिमाचल प्रदेश से 30 रुपये में मिलती थी। उसे वाराणसी तक लाने पर लगभग 10 रुपये खर्च होते थे। इन दवाओं पर 35 से 40 रुपये की बचत हो जाती थी।

ओडिशा के बरागढ़ और झाड़सूकड़ा जिले में नकली दवाइयों की भारी खेप पकड़ी गई थी। आरोपियों ने पूछताछ में बताया था कि बरामद नकली दवाइयां वाराणसी से भेजी गई हैं। इसी आधार पर एसटीएफ की वाराणसी इकाई और खाद्य सुरक्षा औषधि प्रशासन विभाग ने जानकारी हासिल की। 

अशोक के बारे में सही जानकारी मिलने के बाद ही उसके कमरे और गोदामों पर छापा मारकर नकली दवाएं बरामद कर ली गईं। सिगरा इंस्पेक्टर राजू सिंह ने कहा कि आम आदमी के सेहत से जानबूझकर खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ कोर्ट में प्रभावी तरीके से पैरवी कर उन्हें कड़ी सजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

 

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