उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् की ओर से हर साल पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। इस वर्ष प्रयागराज के प्रो.हरिदत्त को विश्व भारती पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। पुरस्कार के रूप में उन्हें 5.01 लाख रुपये व प्रशस्ति पत्र मिलेगा। कुल 19 विद्वानों को पुरस्कार दिया जाएगा।
लखनऊ की डा.नवलता को संस्कृत में दीर्घकालीन योगदान के लिए महर्षि व्यास पुरस्कार दिया जाएगा। उन्हें 2.01 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। प्रतापगढ़ के प्रो.कामता प्रसाद त्रिपाठी को महर्षि वाल्मीकि पुरस्कार दिया जायेगा। 2.01लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
वाराणसी के प्रो.धर्मदत्त चतुर्वेदी व प्रो.उपेंद्र कुमार त्रिपाठी को क्रमश: महर्षि नारद व विशिष्ट पुरस्कार के तौर पर 1.01 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र मिलेगा। गाजिया बाद के डा.मुरारी लाल अग्रवाल,वाराणसी के प्रो.ब्रजभूषण ओझा,प्रो.हरि प्रसाद अधिकारी व डा.विनोद राव पाठक को विशिष्ट पुरस्कार मिलेगा। इन्हें 1.01 लाख रुपये और प्रशस्तिपत्र मिलेगा।
बलिया के डा.अभय नंद मिश्र,वाराणसी के शिवम कुमार चौबे,अंकित कुमार तिवारी व रघुवर प्रसाद, सुलतानपुर के ऋषभ उपाध्याय, राजस्थान के भिलवार के विजय कुमार पारिक, देवरिया के आनंद कुमार तिवारी, बाराबंकी के विनय कुमार शुक्ला, वारायणी के किरण कुमार और मध्य प्रदेश के छतरपुर निवासी अंकित शुक्ला को वेद पंडित पंडित पुरस्कार मिलेगा। सभी को 51 हजार रुपये और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।
सभी भाषाओं की जननी संस्कृत के विकास और उत्थान में लगीं लखनऊ के आशियाना निवासी डा.नवलता करीब साढ़े पांच साल पहले कानपुर के विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म कालेज से सेवानिवृत्त हुई हैं। संस्कृत की कई किताबों के साथ ही संस्कृत में काव्यपाठ में उन्हें महारत हांसिल है।
नव युवकों में संस्कृत के प्रति लगाव पैदा करने के लिए स्कूलों और कालेज में कार्यशालाओं के आयोजन में हिस्सा लेती हैं। प्रत्यूषम, संस्कृत साहित्ये जल विज्ञानम्, स्वस्ति संस्कृत व्याकरण,अनुक्त कथा व दर्शन तत्वविमर्श: जैसी कई रचनाएं लिखीं व संपादित की हैं। उन्होंने पुरस्कार के लिए संस्थानम् का धन्यवाद दिया है।
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