दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अंतर्गत महिला समूह द्वारा वाराणसी के कई सरकारी कार्यालयों व स्कूलों में दीदी कैंटीन का संचालन तेजी से हो रहा है। खास बात यह है कि प्रदेश सरकार राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को इसके माध्यम से और अधिक प्रभावशाली बना रहा है। इस दीदी कैंटीन के माध्यम से समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। साथ ही साथ स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भी अब साफ-सुथरा खानपान की सामग्री उपलब्ध हो रही है। आइए जानते हैं वाराणसी जनपद में इस दीदी कैंटीन योजना से कितना लाभ लोगों को मिल रहा है?
जनपद वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) हिमांशु नागपाल का कहना है कि दीदी कैंटीन सरकार की एक बहुत अच्छी योजना है। सबसे पहले इसे सरकारी कार्यालयों में खुलवाने का काम किया गया और इसके बाद इंटर व डिग्री कॉलेजों में इसे खुलावाया गया। जिससे बच्चों को अनहाइजैनिक खाने की चीजें कैम्पस में ही उपलब्ध हो सकें। इसके लिए कालेजों में एक कमरा नि:शुल्क समूह की महिलाओं को उपलब्ध कराया गया है। जिसके पीछे खास वजह यह है कि स्कूल के बच्चों को बाहर न जाना पड़े और जो एक्सीडेंट आदि के खतरे हैं उससे भी बच्चे बच सकें।
आगे उन्होंने बताया कि हमारा खास ध्यान रहता है कि मौसम के अनुसार बच्चों को डाइट मिल सके जैसे गर्मी में सत्तू और नींबू पानी। अभी तक सरकारी कार्यालयों व सीएचसी में 28 और इंटर, डिग्री कालेजों में 93 अर्थात् 121 कुल दीदी कैंटीन अब तक खोले जा चुके हैं और आगे भी खोले जा रहे हैं। इसके कारण समूह से जुड़ी महिलाएं प्रतिमाह 5 से 6 हजार रुपये भी कमा रहीं हैं और इसके कारण अटेंडेन्स भी पहले की अपेक्षा बढ़ रही हैं। आगे हमारा लक्ष्य है कि 100 कैंटीन और खोले जाएं जिसको लेकर स्कूलों की डिमांड भी अब आ रही है तो कुल मिलाकर यह काफी अच्छी योजना है।
वहीं योजना के बारे में भारतीय शिक्षा मंदिर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य चारुचंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि यह सरकार की बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है और यह जनपद के प्रायः सभी स्कूलों , केवल कुछ ग्रामीण क्षेत्रों को छोड़कर या जो संसाधन विहीन है उन्हें छोड़ दिया जाए तो हर जगह है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि जो हमारी माताएं और बहनें अच्छा भोजन बनाती थीं और जो घरों में थे जिनके खाली समय का सदुपयोग नहीं हो पाता था। वे अब सामने आ रही हैं और आत्मनिर्भर होने के साथ ही वह कैंटीन के माध्यम से बच्चों को साफ भोजन आदि उपलब्ध करा रहीं है और उनके लिए भी यह एक रोजगार बन रहा है जो काफी अच्छा है।
वहीं दीदी कैंटीन संचालिका किरण दुबे का कहना है कि डूडा के माध्यम से उन्होंने विद्यालय में दीदी कैंटीन खोला है और बच्चों व स्कूल प्रबंधन का भी काफी सहयोग मिल रहा है।फिलहाल में बच्चे गर्मी के कारण कम आ रहे हैं लेकिन फिर भी जिस प्रकार का सहयोग मिल रहा है उससे हम काफी खुश है क्योंकि इसके माध्यम से हम आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं।
रिपोर्ट :- अमल कुमार श्रीवास्तव, वाराणसी
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