Union Budget 2023: शिक्षा क्षेत्र के लिए बेहतरीन योजनाओं की घोषणा की गई है। देश में 5जी नेटवर्क तो लांच हो गया था, लेकिन 5जी लैब न होने से अभी काम रुका हुआ था। इंजीनियरिंग कॉलेजों में 5जी रिसर्च के लिए 100 लैब बनाने की घोषणा सबसे बेहतर है। लैब में 5जी एप्लीकेशन पर काम होगा, इससे सर्जरी, ऑटोनोमस व्हीकल में सबसे अधिक फायदा होगा। इन लैब से देश को प्रौद्योगिकी और तकनीक के माध्यम से फायदा पहुंचेगा। डिजिटल लाइब्रेरी गांवों तक पहुंचने से दूर-दराज में बैठे बच्चे या शिक्षक आईआईटी, आईआईएम या किसी भी क्षेत्र के विशेषज्ञों के लेक्चर और किताबें पढ़ सकेंगे। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0 में मार्केट डिमांड के आधार पर एआई, रोबोटिक्स कोर्स जुड़ने पर रोजगार के मौके अधिक उपलब्ध होंगे।-प्रो. वी रामगोपाल राव, पूर्व निदेशक, आईआईटी दिल्ली
शिक्षा के लिहाज से बजट उम्मीद जगाने वाला है। शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए शिक्षकों का प्रशिक्षण जरूरी है। ऐसा ही कदम एकलव्य स्कूलों के लिए 38,800 शिक्षकों की नियुक्ति है। इनमें वनवासी व दूरदराज के बच्चे पढ़ते हैं। शिक्षकों की भर्ती से समाज के आखिरी वर्ग तक अच्छी शिक्षा पहुंचेगी। राष्ट्रीय कौशल प्रोत्साहन योजना के 47 लाख युवाओं को आर्थिक लाभ मिलेगा। हमारा देश युवाओं का है, ऐसे में युवाओं के लिए यह योजना बेहद जरूरी थी। इसी तरह नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी से गांव-गांव तक बच्चों के मोबाइल में अब विदेशी पत्रिकाएं और पुस्तकें होंगी। 5जी सेवा की 100 प्रयोगशालाओं से रिसर्च और डेवलपमेंट पर काम बढ़ेगा। मेधावी बच्चे गणित ओलंपियाड के लिए कैसे तैयार हों, इसकी व्यवस्था भी होनी चाहिए थी। शोध के लिए गणित भी जरूरी है। - आनंद कुमार संस्थापक, सुपर-30
कृषि क्षेत्र में सरकार स्टार्टअप जमीन पर उतार पाई, तो भविष्य में क्रांतिकारी बदलाव दिखेंगे। अभी स्टार्टअप के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ईकोसिस्टम है। कृषि और अन्य स्टार्टअप को कर राहत से इस क्षेत्र को नई ऊर्जा मिल सकती है। आर्थिक विकास के लिए उद्यमिता बेहद जरूरी है। कर राहत और कृषि में अवसर बढ़ने से भारत के पास अपने स्टार्टअप ईकोसिस्टम को और मजबूत बनाने का मौका होगा। बजट में कृषि वर्धक निधि से ग्रामीण इलाकों में स्टार्टअप खोलने वालों को सहायता मिलेगी। सरकार इसे जमीन पर उतार पाई, तो कृषि क्षेत्र में उत्पादन लाभ बढ़ाने की तकनीकी, भंडारण जैसे बड़ी समस्याओं का समाधान होगा। इससे रोजगार के व्यापक अवसर भी पैदा होंगे। - धर्मकीर्ति जोशी मुख्य अर्थशास्त्री, क्रिसिल
विकास की रफ्तार के साथ छोटे उद्योगों को संभालने की भी कोशिश
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण डांवाडोल और अनिश्चित वैश्विक अर्थव्यवस्था, इस साल होने वाले विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर विभिन्न वर्गों की आकांक्षाओं के बीच ऐसा ही बजट पेश किया जा सकता था। सरकार ने देश में विकास दर की गति को बनाए रखने के साथ ही अनिश्चित वैश्विक अर्थव्यवस्था के खतरे का भी ध्यान रखा है। सरकार की योजना इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में बड़े निवेश के जरिये रोजगार के अवसर बढ़ाने और विकास की रफ्तार को बनाए रखने के साथ छोटे-मझोले उद्योगों को संभाले रखने की है। चूंकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद अनिश्चित है। ऐसे में सरकार ने लोक लुभावना और इस अनिश्चिता से निपटने के लिए एक संतुलन साधने की कवायद की है।
बजट को ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि चुनावी जरूरतों के अनुरूप सरकार ने कुछ अहम घोषणा की है। मसलन चुनावी दृष्टि से बेहद अहम मध्य वर्ग को अरसे बाद आय कर में राहत दी है। खेती-किसानी के क्षेत्र में कुछ योजनाओं की घोषणा की गई है। हालांकि, इस दौरान वित्तीय संतुलन बनाए रखने और अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर प्रतिकूल असर पड़ने देने से भी परहेज बरता है। इसके इतर सरकार का सबसे अधिक जोर इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बेहतर निवेश की तलाश और मोटा अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने की है।
निजीकरण की रफ्तार हुई धीमी
सरकार निजीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकती थी। हालांकि, ऐसा लगता है कि चुनावी वर्ष होने के कारण विवाद से बचने के लिए सरकार ने निजीकरण की रफ्तार की गति कम करने में ही भलाई समझी। इसे इस तरह समझा जा सकता है कि सरकार का अगले वित्तीय वर्ष में निजीकरण से महज 51 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है, जबकि नीति आयोग ने इसके लिए छह लाख करोड़ का लक्ष्य हासिल करने की रूपरेखा तैयार की थी। लेकिन अगर सरकार निजीकरण की रफ्तार तेज करती तो गैर कर आय बढ़ा सकती थी।
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