वैसे तो हम कोई भी काम वास्तुशास्त्र देखकर नहीं करते हैं। जिस सामान को जहां अच्छा लगता है, वहीं रखते हैं और घर भी अपने मन-मुताबिक ही बनवाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, घर में मंदिर किस दिशा में होनी चाहिए और पूजा कैसे करनी चाहिए। नहीं न, तो अब इसका समाधान है….
हिंदू धर्म में वास्तुशास्त्र का क्या महत्व है-
एकबार फिर वास्तु शास्त्र के प्रचलन को बढ़ते देखा जा रहा है। वास्तु शास्त्र किसी भी प्रकार के भवन निर्माण से जुड़ा होता है। यह भवन निर्माण की शुभ अशुभ चीजों को दर्शाता है। साथ ही वास्तु शास्त्र किसी भी भवन निर्माण से जुड़ी समस्याओं और उसके निवारण से अवगत कराता है। वास्तु शास्त्र भूमि, दिशाओं और ऊर्जा के अनुसार कार्य करता है। ऐसा कहा जाता है कि वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर बनाया गया घर हमारे जीवन को खुशियों से भर देता है।
आजकाल लोग अपने घर से लेकर ऑफिस तक को बनवाते समय वास्तु का खास ध्यान रखते हैं। वास्तु शास्त्र का अनुसरण करके आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। साथ ही वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों को अपनाकर आप सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर सकते हैं।
घर में मंदिर किस दिशा में बनाना चाहिए -
हिन्दू धर्म ग्रंथो में यह उल्लेख मिलता है कि मंदिर हो या घर, भगवान का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्यूंकि पूर्व दिशा को सकारात्मक ऊर्जा की दिशा माना जाता है। साथ ही, भगवान सूर्य के उदय होने की दिशा होने के कारण भी इस दिशा को शुभ माना जाता है।
पूजा कैसे करनी चाहिए-
ऐसा माना जाता है कि पूजा कभी भी खड़े होकर नहीं करनी चाहिए और ना ही खाली फर्श पर बैठकर पूजा करनी चाहिए। पूजा करने से पहले फर्श पर आसन बिछाना चाहिये और फिर आसन पर बैठकर ही पूजा करना चाहिए। बिना सिर ढके कभी भी पूजा नहीं करनी चाहिए। यही नहीं इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की पूजा का स्थान घर के फर्श से थोड़ा ऊपर होना चाहिए और पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए।
Add Comment