भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में चलने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी NDA का स्वरूप बहुत जल्द ही बदलने वाला है। एनडीए का कुनबा बढ़ता रहे, भारतीय जनता पार्टी की यह सबसे बड़ी चुनौती होती है और इस चुनौती को पार पाने में भारतीय जनता पार्टी कभी पीछे नहीं रहती। 2024 का लोकसभा चुनाव नज़दीक है, लिहाज़ा बीजेपी ने एनडीए को मज़बूत बनाने की कवायद शुरू कर दी है और इसकी बानगी नए संसद भवन के उद्घाटन के मौक़े पर देखने को मिली है।
रुठे दलों को नहीं मनायेगी भाजपा
नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों किए जाने से कई विपक्षी दल नाराज़ हुए और उन्होंने इस उद्घाटन समारोह से दूरी बनाए रखी। उन सियासी दलों ने लोकतंत्र के नए मंदिर के उद्घाटन समारोह में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई लेकिन अब बीजेपी ने भी तय कर लिया है कि वह उससे रूठे हुए दलों को बिल्कुल भी नहीं मनाएगी। बल्कि उन सियासी दलों से अपने रिश्ते मजबूत करेगी जिन दलों ने इस उद्घाटन समारोह में शिरकत की।
जो सियासी दल इस उद्घाटन समारोह में शामिल हुए हैं उनके साथ पहले भी भाजपा के सहयोगी रिश्ते रह चुके हैं। अब ऐसे में भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती यही बनी हुई है कि वह इन दलों को भाजपा के धुर विरोधी खेमे से दूर रखे। बीजेपी की यह कोशिश इसलिए भी है क्योंकि इन सियासी दलों का अपने राज्यों में काफी रसूख है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए उनकी ताकत और उनका सामाजिक समर्थन भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यही सियासी दल भाजपा को 2024 में एक बार फिर सत्ता में लाने में पूरी मदद करेंगे।
आंध्रप्रदेश की वाईएसआरसीपी यानी युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी और तेलुगूदेशम ने अपने नुमाइंदे इस नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भेजकर एक बड़ा संदेश दिया।समूचे आंध्रप्रदेश में इन दोनों पार्टियों का बड़ा महत्व है। यहां की 25 लोकसभा सीटें इन्हीं दोनों पार्टियों के पास हैं। लिहाजा भारतीय जनता पार्टी के लिए इन दोनों दलों को एनडीए में जोड़ना बेहद ज़रूरी और फायदेमंद है।
भाजपा अकाली दल से रिश्ते सुधारेगी
अब बारी आती है पंजाब के अकाली दल की... वैसे तो अकाली दल अब एनडीए का अब हिस्सा नहीं है। किसान आंदोलन के वक्त अकाली दल का एनडीए से मोहभंग हो गया था लेकिन नए संसद भवन के उद्घाटन पर अकाली दल मौजूद रहा। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर अकाली दल का विशेष प्रभाव है। लिहाजा अब भारतीय जनता पार्टी अकाली दल से अपने रिश्ते सुधारने की पूरी कोशिश कर सकती है।
बीजू जनता दल का भी सहयोग भी महत्वपूर्ण
बात की जाये ओडिशा के बीजू जनता दल की तो बीजू जनता दल भी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में मौजूद रहा। ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों पर बीजद का सीधा प्रभाव है इसलिए एनडीए में उसका सहयोग काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बीएसपी भी अहम हिस्सा
उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने तो नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया है लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी इस उद्घाटन समारोह का हिस्सा रहीं। पिछले कुछ समय से बहुजन समाज पार्टी का जादू भले ही नहीं चल रहा हो, लेकिन यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में उसका जनाधार काफी फैला हुआ है। यह भी कहा जा सकता है कि समूचा दलित वोट बहुजन समाज पार्टी के ही पास है। लिहाज़ा उसे एनडीए के बेहद अहम हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है।
बिहार में बड़ा जनाधार रखने वाली लोक जनशक्ति पार्टी पासवान गुट का झुकाव भी एनडीए की तरफ है और यह संसद भवन के उद्घाटन समारोह में साफ़ देखने को मिला।
कहने का मतलब कुल इतना है कि उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक कई सियासी दल अब एनडीए के साथ हैं। जो नहीं भी हैं उन्हें एनडीए के साथ लाने की कोशिश भी ज़ोरों पर है। ऐसे समय में जब कांग्रेस पार्टी कर्नाटक चुनाव जीतकर कई दलों को अपने साथ लाने में कामयाब हो रही है, तो बीजेपी के लिए इन सियासी दलों की अहमियत और भी बढ़ जाती है। बहरहाल, ज़ाहिर है कि यह दल जिनकी अभी हमने आपसे बात की है वो भारतीय जनता पार्टी को उसकी मंजिल तक पहुंचाने में सीधा सहयोग देंगे।
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