2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी काफी वक़्त है, लेकिन सियासी गलियारे में चुनाव को लेकर तैयारियां जोरो पर है। साथ ही मौजूदा सरकार को गिराने के लिए विपक्ष ने कड़े इंतज़ाम भी किये है। बता दें , विपक्ष आज केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर संसद पहुंचा है। लोकसभा की सदस्यता बहाल होने के बाद राहुल गांधी की संसद में वापसी हो गई है। बता दें, संसद में तीन दिन में 18 घंटे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चर्चा की जाएगी और इसका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 अगस्त को दे सकते हैं.
मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव ने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। हालांकि, नंबर गेम के लिहाज से सरकार को इससे कोई खतरा नहीं है। यह दूसरी बार है जब पीएम मोदी की सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रही है। पिछले कार्यकाल में सरकार के खिलाफ तेलुगु देशम पार्टी (TDP) अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसके खिलाफ 330 वोट पड़े थे। अब जानते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव होता क्या है, जिसकी इतनी चर्चा हो रही है-
अब बताते हैं क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
किसी मुद्दे पर विपक्ष की नाराजगी होती है तो लोकसभा सांसद नोटिस लेकर आते है। जैसे इस बार मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष नाराज है और वह लगातार सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहे है। सरकार को घेरने के लिए वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है। लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने इसे स्वीकर भी कर लिया है और आज से बहस की शुरुआत भी हो गयी है। बता दें, अविश्वास पर चर्चा के लिए 50 सांसदों का समर्थन होना जरूरी होता है। और गौरव गोगोई के नोटिस को 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है। इसलिए चर्चा के बाद इस पर वोटिंग भी की जाएगी।
संविधान के अनुच्छेद-75 के मुताबिक, सरकार यानी प्रधानमंत्री और उनका मंत्रीपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। क्यूंकि लोकसभा में जनता के प्रतिनिधि बैठते हैं इसलिए सरकार को इसका विश्वास प्राप्त होना जरूरी है। ऐसे में अगर किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। इसी के आधार पर लोकसभा के रूल 198(1) से 198(5) के तहत कहा गया है कि विपक्षी दल सरकार के खिलाफ अविश्वास का नोटिस लोकसभा स्पीकर को सौंप सकता है।
अब बताते हैं कि कब-कब आया अविश्वास प्रस्ताव -
आजादी के बाद से अब तक 27 बार केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है, लेकिन सिर्फ एक बार ही पास हुआ है। जुलाई 1979 में पीएम मोरारजी देसाई ने वोटिंग से पहले ही इस्तीफा दे दिया था, जिस वजह से उनकी सरकार गिर गई थी। आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को आया था। जब 23 बार कांग्रेस पार्टी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था। हालांकि 10 साल पीएम रहे मनमोहन सिंह के खिलाफ एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया है। इसके अलावा, 2 बार जनता पार्टी जबकि 2 बार बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास लाया गया।
क्या INDIA गठबंधन के दांव-पेंच, NDA पर पड़ेंगे भारी -
बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास लोकसभा में स्पष्ट बहुमत है। जिसमें कुल 538 सांसदों में से 365 सरकार के साथ हैं और इसके खिलाफ रहने वाले सांसदों की संख्या 156 है। तो नंबर गेम के लिहाज से विपक्ष सरकार को परेशानी में ड़ालने की स्थिति में नहीं है। लेकिन फिर भी ये देखना बाकि है कि आखिर इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सदन में क्या क्या होता है, पीएम मोदी क्या जवाब देते हैं और सदन में क्या फैसला लिया जाता है। आपको क्या लगता है हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।
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