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Sonbhadra : सोनभद्र के ग्रामीणों ने लिया सोन नदी को बचाने का संकल्प

 

सोनभद्र से होकर बहने वाली सोन नदी का "नमस्ते ब्रह्मपुत्राय, शोणभद्राय ते नमः" मंत्रो उच्चारण और शंखनाद के बीच ग्रामीणों ने सोन नदी की पूजा अर्चना कर सोन नदी और पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया। साथ ही बिरसा मुंडा फाउंडेशन के सोन नदी को बचाने की ग्रामीणों ने सराहना की। 

सोन नदी को ब्रम्हा जी के पुत्र होने की मान्यता और वैदिक मान्यता के कारण सोन नदी पूजनीय है। साथ ही नदी, पेड़-पौधे, पहाड़ आदिवासियों के पूजनीय हैं। हाल में बालू खननकर्ता सोन नदी की धारा को बांधकर अंधाधुंध खनन कर नदी के अस्तित्व को समाप्त कर देने में लगे हुए हैं। सोन नदी को बचाने के लिए बिरसा मुंडा फाउंडेशन ने एनजीटी खनन अधिवक्ता अभिषेक चौबे के जरिये याचिका दाखिल कर सोन घड़ियाल के रूप में सोन नदी को संरक्षित करने की आवाज उठाई। जिस पर माननीय न्यायालय ने बड़ा निर्णय पारित कर याचिका स्वीकार की और सरकार को सोन नदी संरक्षित किए जाने के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। परंतु खननकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी और ग्रीष्म काल तक स्थगन प्राप्त कर फिर से खनन करते लगे।

वहीं ग्रामीणों ने सोन नदी के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ने वाले बिरसा मुण्डा फाउंडेशन की सराहना की। कैमूर वाईल्ड लाइफ एरिया में पड़ने वाले गुरदह गांव के स्थानीय ग्रामीणों ने विश्व पर्यावरण दिवस पर आज सुबह का स्नान सोन नदी में करके विद्वान ब्राह्मणों द्वारा "नमस्ते ब्रह्मपुत्राय, शोणभद्राय ते नमः" मंत्रोच्चारण और शंखनाद के साथ ब्रह्मा के पुत्र सोन नदी की पूजा स्तुति की तथा हाथ में जल लेकर सोन नदी को बचाने का संकल्प लिया।

इस दौरान गुरदह गांव के स्थानीय ग्रामीण का कहना था कि सोन नदी में खनन माफियाओं द्वारा अस्थायी पुल बनाकर बालू का खनन करते जिसकी वजह से नदी का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। आज पर्यावरण दिवस पर पूजा अर्चना करके संकल्प लिया है कि सोन नदी को बचाने की लड़ाई लड़ी जाएगी। 

रिपोर्ट- अरविंद दुबे, सोनभद्र

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