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Sharad Pawar : पवार के मास्टर स्ट्रोक तले दब गए छोटे पवार !

 

देश की राजनीति में ऊंचा मुकाम रखने वाले शरद पवार ने 1 दिन पहले एनसीपी की वर्षगांठ पर एक आश्चर्यजनक कदम उठाते हुए दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा कर दी। इसमें उनकी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले और पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल थे। शरद पवार के इस कदम को जल्दबाजी में इस्तीफा देने और पीछे हटने के बाद के एक मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है। एनसीपी और महाराष्ट्र की राजनीति पर इसके दूरगामी परिणाम होंगे यह भी तय है।

वैसे शरद पवार का ये कदम अजीत पवार के लिए किसी झटके से कम नहीं है। ऐसा समझा जा रहा है कि अब अजीत पवार की नाराजगी कई गुना बढ़ सकती है।

जब शरद पवार से यह जानने की कोशिश की गई कि सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी की कमान सौंपी जाने से क्या अजीत पवार नाराज नहीं होंगे। इस पर शरद पवार की तरफ से बेहद डिप्लोमेटिक जवाब आया। शरद पवार ने कहा कि अजीत पहले से ही कई जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 2 कार्यकारी अध्यक्ष चुनने के फैसले के पीछे जनता को यह बताने की कोशिश की गई है कि देशभर के मामलों को देखने के लिए पार्टी के पास पर्याप्त लोग हैं। शरद पवार ने कहा कि देश में मौजूदा हालात को देखते हुए सभी राज्यों की जिम्मेदारी एक व्यक्ति पर डालना सरासर गलत होगा।

अजीत पवार महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। कुछ समय पहले तक वह पार्टी से नाराज़ चल रहे थे जिसके बाद यह माना जा रहा था कि वह बहुत जल्द ही भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा था क्योंकि 2019 में अजीत पवार ने एनसीपी भाजपा गठबंधन की सरकार में डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली थी। हालांकि बाद में यह गठबंधन टूट गया और एनसीपी ने शिवसेना और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर महा विकास आघाड़ी की सरकार बना ली थी। इसके अलावा अजीत पवार के द्वारा उठाए गए कदमों पर शरद पवार को कई बार सफाई देनी पड़ी थी। यही नहीं अजीत पवार के बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच शिवसेना यूबीटी ने शरद पवार से मुलाकात भी की थी। शायद इन्हीं सब बातों को जेहन में रखते हुए शरद पवार ने अजीत पवार को एनसीपी की कमान नहीं सौंपी।

अजित पवार ने ट्वीट कर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को बधाई तो दी है, लेकिन माना जा रहा है कि वह इस फैसले से खुश ज़रा भी नहीं हैं। लेकिन जो होना था वह हो चुका है, अब चाचा के फैसले पर अजीत पवार का अगला रुख क्या होने वाला है यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। 

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