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पीएम ने भारत छोड़ो आंदोलन को किया याद, भ्रष्टाचार भारत छोड़ो, राजवंश भारत छोड़ो

 

Quit India Movement यानी भारत छोड़ो आंदोलन देश के हर नागरिक को बखूबी याद है, क्यूंकि इस छतिपूर्ण भरे  दिन को भारत का कोई भी नागरिक कभी नहीं भूल सकता है। इतिहास के इस पाठ को हमारे स्कूल के साथ हमने अपने बड़ों से हमेशा सुना है लेकिन इस दौरान क्या क्या हुआ था ये जानने की इच्छा हमेशा बानी रहती है।  इस दिन को याद करते हुए पीएम मोदी ने भी एक ट्वीट किया है।

पीएम मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले वीरों को याद किया है और भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एक ट्वीट किया है। उन्होंने कहा भारत की आजादी के लिए 9 अगस्त 1942 का दिन काफी महत्वपूर्ण है। क्यूंकि आज ही के दिन गांधी जी के आह्वान पर देशभर में भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल बज गया था। इस आंदोलन में हर उम्र वर्ग के लोग शामिल हुए थे , साथ ही महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।

पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि,"भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने वाले महान लोगों को श्रद्धांजलि। गांधी जी के नेतृत्व में इस आंदोलन ने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा आज भारत एक स्वर में कह रहा है: भ्रष्टाचार भारत छोड़ो। राजवंश भारत छोड़ो। तुष्टीकरण भारत छोड़ो।

इस दौरान पीएम मोदी ने वंशवाद के जरिए विपक्ष को भी खूब घेरा है। उन्होंने वंशवाद भारत छोड़ो नारे के जरिए विपक्षी दलों पर निशाना साधा है। दरअसल भारतीय जनता पार्टी हमेशा विपक्षी दलों पर वंशवाद का आरोप लगाती है। पीएम मोदी ने कई बार अपने चुनावी रैलियों में देश की जनता को भ्रष्टाचार, वंशवाद और तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों से दूरियां बनाने की बात कही है।

भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिलाकर रख दी थीं। दरअसल , भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था। यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद 8 अगस्त सन 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ था। यह भारत को तुरन्त आजाद कराने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था।

बता दें , क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया था। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बम्बई सत्र में 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' का नाम दिया गया था। हालांकि उसके बाद गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार भी कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़ताल और तोड़फ़ोड़ की कार्यवाहियों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया था।
 

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