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Manipur Violence : मणिपुर में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश, जानिए आखिर क्यों फैली हिंसा

 

नई दिल्ली। पूर्वोत्तर में हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात की। इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने राज्य की स्थिति का जायजा लिया। वहीं, राज्य सरकार ने स्थिति को काबू करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। हिंसा में शामिल उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया गया है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य की आबादी में 53 प्रतिशत हिस्से वाले गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में  शामिल करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने 19 अप्रैल को अपना फैसला सुनाते हुए सरकार को मैतेई समुदाय को जनजातीय वर्ग में शामिल करने पर विचार करने को कहा था। वहीं, मैतेई समुदाय की मांग के खिलाफ चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ के बुलाए गए नगा और कुकी आदिवासियों के ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़क गई। इस मार्च के बाद भड़की हिंसा ने रात में और गंभीर रूप ले लिया। वहीं, हिंसा के कारण 9,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। 

मणिपुर में फैली हिंसा को नियंत्रण में लाने के लिए सुरक्षा बलों को राज्य में भेजा गया है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना और असम राइफल्स के 55 ‘कॉलम’ को तैनात किया गया है। इसके अलावा गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। वहीं, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए गुरुवार को राज्य सरकार ने दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया। 

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