बसपा सुप्रीमो मायावती ने रामचरितमानस प्रकरण को लेकर सपा पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि देश में कमजोर उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि नहीं बल्कि भारतीय संविधान है। जिसमें बाबासाहेब ने इन्हें शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी की संज्ञा दी है इसलिए सपाई शूद्र कहकर उनका अपमान ना करे और ना ही संविधान की अवहेलना करे।
1. देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है। अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे।
— Mayawati (@Mayawati) February 3, 2023
मायावती ने हमला बोलते हुए कहा कि सपा प्रमुख को इनकी वकालत करने से पहले लखनऊ गेस्ट हाउस के दो जून 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। देखना चाहिए कि जब दलित की बेटी सीएम बनने जा रही थी तो सपा सरकार ने जानलेवा हमला कराया था। वैसे भी यह जगजाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान की कदर बीएसपी सरकार में ही थी।
आगे बसपा सुप्रीमो ने कहा, देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों आदिवासियों में ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइंसाफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा और तिरस्कार के मामले में कांग्रेस भाजपा व समाजवादी पार्टी कोई भी कम नहीं है।
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