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लव जिहाद या आवारगी ?

 

आजकल देश के चर्चित मुद्दों मे से एक है लव जिहाद। गूगल पर आप सर्च करें तो हजारों ताजे मामले आपके सामने होंगे, जहाँ मुस्लिम लड़के ने नाम और धर्म छुपाकर हिन्दू लड़की से शादी की और बाद में जबरन उसका धर्म परिवर्तन करा दिया। फिर कुछ साल बाद सौतन के रूप में कोई ना कोई लड़की आ गई। सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ये कौन सा प्यार है जहां साजिश कर लड़की को मोहब्बत के जाल मे फंसाकर उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है। आखिर मुस्लिम लड़के हिन्दू समाज के किस वर्ग पर अधिक रूप से इस साजिश का प्रयोग करते है? क्या सच मे लड़कियां इतनी भोली भाली होती हैं कि वह बिना तहकीकात किये लड़के के मोहब्बत को स्वीकार कर लेती है?

हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म " द केरल स्टोरी"  में दावा किया गया था कि मात्र केरल में ऐसी 30 हजार लड़कियां हैं जिनका ब्रेन वाश कर उनका धर्म परिवर्तन कराया गया और उन्हें दलदल मे धकेल दिया गया। हालांकि इस पर काफ़ी विवाद हुआ लेकिन यहां इस बात का उल्लेख करना ज़रूरी है कि विवाद संख्या को लेकर हुआ, असल मुद्दे को लेकर नहीं। फ़िल्म को प्रोपेगंडा फ़िल्म कहने का सिलसिला शुरू हुआ तो फ़िल्म के निर्माता निर्देशक ने ऐसी 29 लड़कियों को मीडिया के सामने पेश किया जो इस तरह की साजिश का शिकार हो चुकी थीं। पर हमारा मुद्दा यहाँ अलग है। क्या हिन्दू नाम रख लेने भर से हिन्दू लड़कियां किसी मुस्लिम लड़के पर फ़िदा हो सकती हैं, बिलकुल नहीं।

आंकड़े बताते हैं कि उत्तरप्रदेश के लखनऊ क्षेत्र में पिछले 5 साल में 29 हजार के आसपास अंतरधर्मीय विवाह हुए हैं। लखनऊ क्षेत्र में उन्नाव कानपुर भी शामिल है। इन 29 हजार में 13 हजार शादियां मात्र एक जिले उन्नाव में हुई हैं। इन शादियों की खासियत यह है कि इन 29 हजार में मात्र 15 मामलो में लड़का हिन्दू और लड़की मुस्लिम थे बाकि सारे मामले में लड़कियां हिन्दू और लड़के मुस्लिम थे। ये आंकड़े तो कोर्ट के हैं, जाहिर है यहां लव जिहाद का मामला तो बिलकुल नहीं रहा होगा।

आज से कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश में हिन्दू सेना का गठन हुआ था जिसने अपने शुरूआती प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक गैर सरकारी संस्था के आंकड़े के साथ मुद्दा उठाया था कि उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में हिन्दुओं की ऊँची जातियों की हर दूसरी लड़की का प्रेम प्रसंग मुस्लिम लड़कों के साथ चल रहा है। उन्होंने भी प्रेम प्रसंग की बात कही थी, जिहाद की नहीं। अगर आंकड़ों को सच मानें तो शादी के बंधन में बंधे 29 हजार लड़कियों को पता था कि उसका पति मुस्लिम है। यानि उन लड़कियों की विचारधारा आम लड़कियों की तुलना में अधिक उन्मुक्त रही होगी।

कहानी सुलोचना की...

2014 में अपने मुस्लिम प्रेमी के साथ विवाह के बंधन में बंधी एक लड़की और 2017 में तलाक लेकर अपने घर में रह रही थी। वह एक पढ़ी लिखी और अच्छी कंपनी में जॉब कर रही थी, जिसका नाम सुलोचना सिंह (बदला हुआ नाम) था, उसकी बचपन की दोस्त अर्चना ने जो बात बताई, वह ध्यान देने लायक है। सुलोचना का पूर्व पति जब उसके साथ काम करता था तब उसकी काफ़ी केयर करता था। दोनों हम उम्र थे, लड़का रोज अपनी बाईक में उसे बिठाकर लाता था और घर छोड़ता था। लड़की के पैसे और समय दोनों बचते थे। उस समय का सदुपयोग दोनों घूमने फिरने पिजा हट, मेक डोनाल्ड में बैठकर बर्गर खाने, कॉफी शॉप में बैठकर कॉफी पीने में करते थे। लड़का उसे रोज एहसास दिलाता था कि वह उसके लिए बहुत खास है। जब लड़के ने पहली बार प्रपोज किया तो उसने मना कर दिया लेकिन वह पीछे पड़ा रहा। उसके बर्ताव में कभी बदलाव नहीं आया। कई बार लड़की ने उसे भला बुरा भी कहा लेकिन लड़का पीछे पड़ा रहा। अंततः हार कर लड़की ने उसका प्यार स्वीकार कर लिया।

अर्चना आगे बताती है, कभी कभार वह भी उनके साथ घूमने फिरने जाती थी। तब लड़का अपने एक दोस्त को भी बुला लेता था जिसकी बाईक पर वह बैठती थी। एक तरह से उसने उस लड़के को मेरे लिए छोड़ दिया था। सुलोचना की कोर्ट में शादी हुई, एक गवाह के तौर पर उसने भी साइन किया था। शादी के एक महीने बाद ही सुलोचना को लगने लगा कि उसने गलती कर दी है क्योंकि लड़के का व्यवहार बदलने लगा था। एक साल बाद ही वह मां बन गई और पति के दबाब में जॉब छोड़कर घर में बैठ गई। अब बुरखा पहनना उसके लिए कंपलसरी हो गया था। हद तो तब हुई जब उसकी सास ने उसे बताया कि उसके पति की शादी उसकी ननद की लड़की से पहले से ही तय थी। वह उसके साथ पहले भी घूमता फिरता था और अभी भी मिलना जुलना चालू है। एक बार शक हुआ तो उसने अपने पति का मोबाइल चेक करना शुरू हुआ और हकीकत सामने आ गई कि अब मेक डोनाल्ड, पिजा हट और सिनेमा पर उस लड़की ने कब्ज़ा जमा लिया है। जब लड़के की पोल खुली तो सुलोचना की जबरदस्त पिटाई हुई और वह ससुराल छोड़ने पर मजबूर हो गई। बाद में दोनों के बीच तलाक हुआ और लड़के ने अपनी बुआ की लड़की से तलाक के एक महीने बाद ही निकाह कर लिया।

इस मामले में दोषी कौन है? लड़का, सुलोचना या हिन्दू लड़कियों की आधुनिक मानसिकता?

मेरा मानना है कि हिन्दू लड़कियों में आधुनिक मानसिकता इसके लिए अधिक दोषी है। एक उदाहरण आपके सामने है टिकटॉक हो या कोई भी वीडियो साइट, वहां लड़कों में फेमस नाम मुस्लिम होंगे लेकिन लड़कियों में अधिकतर हिन्दू और आज कल लड़कियां नामचीन लड़कों की दीवानी होती हैं। वहां धर्म, जाति मायने नहीं रखता है। यही नहीं, आधुनिकता के इस दौर में हिन्दू लड़कियां अन्य धर्म की लड़कियों से काफी आगे निकल गई है। उनका दायरा काफी बढ़ गया है और ऐसे में हर दिल फेंक लड़कों में उन्हें अपना राजकुमार नजर आने लगता है।घूमना, फिरना, कॉफी शॉप से ओयो होटल तक का सफर बदस्तूर चलता है। यहां उनके रिश्ते में स्थिरता नहीं बल्कि आधुनिकता का भूत अधिक सवार होता है। पारिवारिक संस्कार दसवीं पास होते ही खत्म होने लगता है। पूजा-पाठ बस सोशल मीडिया तक ही सीमित रह जाता है। लड़का इसी का फायदा उठाता है। इनमें से अधिकतर रिश्ते बीच में ही दम तोड़ देते हैं और कुछ शादी के बाद खत्म हो जाते हैं इसीलिए लव जिहाद से अधिक घातक है ये लव आवारगी।

By Uday Bhagat  ( यह लेखक का निजी विचार है )

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