मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में माफियाओं की जड़ेे हिलाने की कवायद चालू है। पुलिस एनकाउंटर धड़ल्ले से हो रहे हैं और माफियाओं के बेशकीमती आशियानों पर बुलडोजर चलाकर उन्हें गहरा आघात पहुंचाया जा रहा है लेकिन इसी दरमियान कुछ माफिया ऐसे भी हैं जो पुलिस के हाथों नहीं बल्कि नए-नए गैंगस्टर बन रहे कुछ नवयुवकों की गोली का शिकार बन रहे हैं। हाल ही में हमने देखा कि यूपी के सबसे बड़े माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ को कैसे पुलिस की मौजूदगी में मौत के घाट उतार दिया गया। वहीं, अभी 2 दिन पहले ही माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के सबसे करीबी संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा को भरी अदालत में गोलियों से भून दिया गया। अतीक अहमद की माफियागिरी की कहानी तो सभी को मालूम है लेकिन संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा भी कितना बड़ा गैंगस्टर था, यह शायद बहुत कम लोगों को ही पता है। तो चलिए आज हम आपको बॉलीवुड सुपरस्टार संजय दत्त के इस जबरा फैन की कहानी सुनाते हैं।
कहते हैं कि मुख्तार अंसारी की गैंग में संजीव जीवा का मुख्य किरदार था। संजीव के दम पर ही मुख्तार जेल में बैठे-बैठे बड़ी से बड़ी वारदातों को अंजाम दे देता था। संजीव माहेश्वरी मुख्तार के काले साम्राज्य के किले का वो सिपाही था, जिस पर मुख्तार आंख मूंद कर भरोसा करता था लेकिन संजीव की हत्या के बाद माना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी का काला साम्राज्य अब ज्यादा दिनों तक टिकने वाला नहीं है। खैर, संजीव जीवा एक आम शख्स से इतना बड़ा गैंगस्टर कैसे बन गया यह जान लीजिए।
पश्चिमी उत्तर-प्रदेश कई कुख्यात गैंगस्टरों के लिए जाना जाता है। संजीव माहेश्वरी उर्फ़ संजीव जीवा भी पश्चिमी उत्तर-प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले से आता है लेकिन उसकी चिता को आग शामली जिले के आदमपुर गांव में दी गई।
जानें संजीव जीवा की कहानी
दरअसल संजीव जीवा के पिता ओमप्रकाश माहेश्वरी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए साल 1986 में गांव छोड़कर मुजफ्फरनगर की शहर कोतवाली क्षेत्र की प्रेम पुरी कॉलोनी आ गए थे। ओम प्रकाश माहेश्वरी ने डेरी का धंधा शुरू किया। उस समय उनका बेटा संजीव 12वीं की पढ़ाई पूरी कर चुका था। 12वीं के बाद वह भी अपने पिता का हाथ बांटने लगा। मगर उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा संजीव आगे जाकर ऐसा शार्प शूटर बन जाएगा, जो पुलिस को भी चुनौती दे देगा।
बताया जाता है कि संजीव पढ़ने में काफी तेज था इसलिए वह डॉक्टर बनना चाहता था। मगर एक तरफ पैसे की चाहत और दूसरी तरफ घर के आर्थिक हालातों के चलते संजीव माहेश्वरी ने डॉक्टर बनने के बजाय एक स्थानीय डॉक्टर के दवाखाने पर कंपाउंडर बनकर काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान लोग संजीव को डॉक्टर कहने लगे। जब संजीव माहेश्वरी जरायम की दुनिया में संजीव जीवा बना तो उसे मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत बड़े बड़े माफिया तक डॉक्टर ही कहकर बुलाने लगे।
जिस डॉक्टर के यहां संजीव काम करता था, वहीं से ही संजीव का संजीव माहेश्वरी से संजीव जीवा बनने का सफर शुरू हुआ। दरअसल जिस दवाखाने पर संजीव काम करता था, उसके डॉक्टर का पैसा इलाके का दबंग वापस नहीं कर रहा था। 1 दिन डॉक्टर काफी परेशान था, इस दौरान संजीव ने डॉक्टर से उसके परेशान होने की वजह पूछी। डॉक्टर ने बताया कि दबंग उसका पौसा लौटा नहीं रहा है, पैसे मांगने पर धमकी भी देता है। इस दौरान संजीव जीवा ने शर्त रखी कि अगर वह उसका पैसा ले आया तो उसमें से एक हिस्सा डॉक्टर को उसे देना होगा। डॉक्टर को भी लगा कि रकम डूब रही है, जो मिल जाए वही सही है। उसने संजीव की बात पर हामी भर दी, संजीव उस व्यक्ति के पास गया और सारी रकम ले कर आ गया। फिर डॉक्टर ने भी उसका हिस्सा उसे दे दिया। बस यहीं से संजीव की जुर्म की दुनिया में एंट्री हो गई और उसे ये दुनिया पसंद आने लगी। यहीं से संजीव माहेश्वरी की संजीव जीवा बनने की शुरुआत हो गई।
जुर्म की दुनिया में संजीव जीवा एक ऐसा गैंगस्टर था, जिसने एंट्री करते ही अपहरण, रंगदारी वसूली, हत्या की वारदातों को अंजाम दे दिया। इसी के साथ वह हथियारों की सप्लाई भी करने लगा और देखते ही देखते उत्तर भारत के सबसे बड़े अपराधियों में से एक बन गया। उस समय कहा जाता था कि छोटे हथियार से लेकर एके-47 तक, संजीव जीवा के पास सब मिलेगा।
एक और अनोखी बात जो संजीव जीवा के बारे में कही जाती है वह ये है कि वो फिल्म स्टार संजय दत्त का बहुत बड़ा फैन रहा है। संजीव, संजय दत्त की हर फिल्म देखता था जब वह जुर्म की दुनिया में दस्तक दे रहा था, तब उसने अपना नाम भी बदल लिया। दरअसल संजीव ने संजय दत्त की फिल्म को देखकर अपने नाम के आगे जीवा जोड़ लिया और संजीव माहेश्वरी से संजीव जीवा बन गया।
संजीव के परिवार में दो बहने हैं और बीवी समेत चार बच्चे हैं। संजीव की पत्नी पायल की बात करें तो वह राजनीति में काफी सक्रिय हैं। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में वह मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं। वह बात और है कि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कहा तो यह भी जाता है कि जब संजीव जेल में थे तब उनकी पत्नी पायल ही उनकी पूरी गैंग को लीड कर रहीं थीं। यही वजह है कि उनको सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है, दरअसल पायल माहेश्वरी को उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर चार्ट में नामित किया गया है। उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इससे बचने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। पायल का कहना है कि अगर वह गिरफ्तार हुई तो उन्हें भी उनके पति की तरह मार दिया जाएगा। इसलिए, वह सुप्रीम कोर्ट से तत्काल राहत देने की मांग कर रही थीं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को तत्काल सुनने से इनकार कर दिया है।
बहरहाल, कहा जाता है कि जो गोली चलाता है उसे पता होता है कि एक गोली उसके नसीब में भी लिखी है। लिहाजा यह कहा जा सकता है कि संजीव माहेश्वरी ने अपने लिए ऐसी मौत खुद चुनी थी।
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