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इतना आसान नहीं बजरंग दल पर बैन लगाना, जानें पूरा इतिहास

 

कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का प्रचार अब अपने आखिरी दौर में है। कांग्रेसी और बीजेपी यहां अपनी सत्ता कायम करने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रही हैं। पीएम मोदी यहां रोड शो कर रहे हैं, सोनिया गांधी 4 साल बाद रैली करने निकली हैं। राहुल, प्रियंका, अमित शाह, जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ सभी पूरी ताकत लगा रहे हैं। अमूमन किसी भी राज्य में चुनाव विकास के मुद्दे पर होता है लेकिन कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। 

 

कर्नाटक चुनाव में बजरंग दल कैसे बना बड़ा सवाल

बजरंग दल को लेकर एक बार फिर सिर्फ कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे देश में कांग्रेस और बीजेपी में एक बड़ा विवाद छिड़ गया है। इसकी शुरुआत होती है कांग्रेस के उस मेनिफेस्टो से जो उसने कर्नाटक चुनाव के लिए जारी किया है। दरअसल कांग्रेस के घोषणापत्र में बजरंग दल पर बैन लगाने का प्रस्ताव दिया गया है जो कर्नाटक चुनाव में एक अहम मुद्दा बन गया है। खुद प्रधानमंत्री मोदी भी बजरंग दल के बचाव में उतर आए हैं। कर्नाटक के विजयनगर जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने "बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कहकर भगवान हनुमान को ही ताले में बंद करने का फैसला लिया है।" मोदी ने कहा, "पहले उन्होंने भगवान श्री राम को ताले में बंद किया और अब वो "जय बजरंग बली" कहने वालों को बंद करना चाहते हैं।"

मोदी के इस भाषण के बाद भाजपा के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर बजरंग दल का समर्थन किया और कांग्रेस की आलोचना की। वहीं, भाजपा नेता और कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम केएस ईश्वरप्पा ने कांग्रेस के प्रस्ताव का विरोध करते हुए कांग्रेस के घोषणापत्र की एक प्रति को जला डाला। साथ ही उन्होंने बजरंग दल को एक "देशभक्त संगठन" बताया और कहा कि "कांग्रेस की उस पर बैन लगाने के बारे में बोलने की हिम्मत कैसे हुई।"

यूपी सीएम योगी भी बजरंग दल के समर्थन में

बची कुची कसर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी कर दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अब बजरंग दल के पीछे पड़ी है क्योंकि वह देशभक्त लोगों के खिलाफ है और राष्ट्रवादी नीतियों को बनाए रखने वालों का मनोबल गिराने की कोशिश कर रही है। सीएम योगी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कर्नाटक के लोगों से कांग्रेस को वोट न देने का आह्वान किया और कहा कि उसने बजरंग दल जैसे देशभक्त संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का इरादा जताया है।

क्या है बजरंग दल

बजरंग दल दरअसल विश्व हिंदू परिषद का युवा संगठन है। इसका जन्म राम जन्मभूमि आंदोलन के शुरुआती दिनों में आठ अक्टूबर, 1984 को अयोध्या में हुआ था। परिषद की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या से निकलने वाली ‘‘श्रीराम जानकी रथ यात्रा'' को सुरक्षा देने से मना कर दिया था। तब परिषद ने कुछ युवाओं को रथ यात्रा की सुरक्षा का काम सौंपा और वहीं से बजरंग दल की शुरुआत हुई। इसके संस्थापक अध्यक्ष विनय कटियार थे जो आगे चल कर बीजेपी के टिकट पर सांसद भी बने। कटियार बाबरी मस्जिद को गिराने के मामले में मुख्य आरोपियों में से थे लेकिन सितंबर, 2020 में एक विशेष सीबीआई अदालत ने सबूतों के अभाव में उन्हें और सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। 

पहले भी बजरंग दल पर बैन लगाने की कोशिश हुई

अब जब बजरंग दल पर बैन लगाने की बात हो रही है तो आपके मन में शायद यह सवाल भी आ रहा होगा कि क्या पहले कभी बजरंग दल पर बैन लगा है? तो हम आपको बता दें कि अयोध्या की बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार ने कुछ संगठनों पर बैन लगा दिया था, जिनमें बजरंग दल भी शामिल था। लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार 90 दिन के अंदर कोर्ट में बजरंग दल के खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं कर पाई थी जिसके कारण बैन निरस्त हो गया था।

आज तक कोई भी सरकार बैन नहीं लगा पाई

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 2008 में भी कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन लगाए जाने की मांग की थी। लोक जनशक्ति पार्टी के दिवंगत नेता राम विलास पासवान ने भी 2008 में इस मांग का समर्थन किया था। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी की मुखिया मायावती ने भी 2013 में बजरंग दल को बैन करने की मांग की थी। वहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी दल पर बैन लगाने की मांग कर चुके हैं। 2008 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने भी सरकार को दल पर बैन लगाने के लिए कहा था। वो बात अलग है कि इन सब की बजरंग दल को बैन करने की मांग ज़ाया हो गई क्योंकि बजरंग दल के साथ देश के करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। यही वजह है कि हमेशा इसे बैन करने की मांग की जाती रही है लेकिन कोई भी सरकार इस पर बैन लगाने की आज तक हिम्मत नहीं जुटा पाई।

इस बार शायद कांग्रेस आर पार के मूड में है इसलिए तो उन्होंने कह दिया है कि सरकार आने पर बजरंग दल पर बैन लगा दिया जाएगा। वैसे तो कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन लगाने की बात कर्नाटक में की है लेकिन उसका इशारा है कि पूरे देश में बजरंग दल पर बैन लगा दिया जाएगा जिस दिन भी कांग्रेस की हुकूमत दोबारा फिर आ गई। बहरहाल, बजरंग दल पर बैन की बात करके कांग्रेस ने भाजपा को एक तरह से जीवन दान दे दिया है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कहा है कि PFI के साथ बजरंग दल पर भी बैन लगाएंगे जबकि PFI देश में ऑलरेडी बैन है।

आपको बता दें कि कर्नाटक में 11 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। कांग्रेस का मकसद इन 11 प्रतिशत वोट पर कब्ज़ा जमाना था लेकिन बजरंग दल पर बैन लगाने की बात को भाजपा ने बजरंग बली से जोड़ कर उसे भूनना शुरू कर दिया, जिसका फायदा भी होता दिख रहा है। कर्नाटक में जाति की राजनीति धड़ल्ले से की जाती है और वर्तमान स्थिति में सारे जातीय समीकरण कांग्रेस के पक्ष में है जिसके कारण भाजपा की वहां हार तय मानी जा रही है। लेकिन बजरंग दल के मुद्दे के बाद भाजपा एक बार फिर से जोश में है।

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