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'हत्तक': एक वैश्या की जिंदगी को उधेड़ती नाट्यप्रस्तुति

 

 

लखनऊ:  दिनांक 10 जुलाई को सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी की महासचिव व इस नाट्यप्रस्तुति की भूमिका में सीमा मोदी उर्फ़ सौगंधी ने बताया कि संस्था द्वारा  12 जुलाई को स्थानीय संगीत नाटक एकेडमी, सन्त गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह ऑडिटोरियम  में उर्दू के सुप्रसिद्ध लेखक सआदत हसन मंटो की कहानी " हत्तक " का मंचन करने जा रही है। इस कहानी का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन वरिष्ठ रंगकर्मी श्री के के अग्रवाल द्वारा किया गया है। 

उन्होंने बताया कि उनकी संस्था, मंच के माध्यम से अच्छे साहित्य को समाज के समक्ष लाने हेतु प्रयासरत है। विगत आठ वर्षों में संस्था सौ से अधिक प्रस्तुतियां कर चुकी है। 
सआदत हसन मंटो ऊर्दू के ऐसे लेखक हैं जिन्हे आज हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनो मुल्क अपना बताते हैं। ये उन कुछ चुने हुए लेखकों में से हैं जिन्होंने अपने वक्त से आगे का साहित्य लिखा। उनका जन्म  11 मई 1912 को हुआ था एवं देहावसान 18 जनवरी 1955 को। अपनी बयालीस साल, आठ महीने और सात दिन की ज़िन्दगी में मण्टो को लिखने के लिए सिर्फ 19 साल मिले और इन सालों में उन्होंने 230 कहानियां, 67 रेडियो नाटक, 22 ख़ाके और 70 लेख लिखे।

मंटो के बारे में बोलते हुए के के अग्रवाल ने कहा कि मंटो अपने वक्त की नंगी सच्चाईयों को बेझिझक अपनी कहानियों में उतारते थे। वो उन सभी वर्गों की तरफ़दारी करते थे जिनके साथ समाज में नाइंसाफी होती थी । उन्होंने न केवल आम औरतों पर होने वाले ज़ुल्मों के ख़िलाफ़ लिखा बल्कि वेश्याओं की हिमायत में भी खूब कलम चलाई। वो कहते थे, हमें इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए कि हर औरत वेश्या नहीं होती लेकिन हर वेश्या एक औरत होती है। 

कहानी हत्तक एक ऐसी वेश्या की कहानी है जिसमें मोहब्बत करने की अहलियत इस कदर ज्यादा है कि जो भी मर्द उसके करीब आता है वो उससे मुहब्बत करने लगती है और उसके साथ अपनी बाकी की ज़िन्दगी गुज़ारने का सपना देखने लगती है। 

हत्तक का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन करने के विषय में उन्होंने कहा कि इस कहानी में मानवीय संवेदनाओं को परत दर परत खोल कर दर्शकों के सामने पेश करने की भरपूर संभावनाएं हैं। बदबूदार, घुटन भरी बस्तियों में बसे चकलों में डोलती वेश्याऐं, उनके दलालों और लावारिस बच्चों की जिंदगी , यूं तो चलती फिरती लाशों जैसी होती है।  मगर उनमें भी जीने की चाह होती है। उनके भी अपने अरमान होते हैं। वैश्यालयों की ज़िन्दगी में बसे इन किरदारों के दर्द , सोच, भावनायें, संवेदनायें, इन सबको मंच पर लाना एक चुनौती है। इसीलिए उन्होंने इस कहानी को मंचन हेतु चुना है। 

 इस कहानी का मुख्य किरदार है, एक भावुक महत्वाकांक्षी वेश्या - "सौगंधी" जिसे सीमा मोदी निभाएंगी , साथ में रंगमंच कलाकार अंकुर सक्सेना, नवनीत मिश्रा, अनन्या सिंह, नितिन तिवारी , विनायक होंगे।
 
प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन  गोपाल सिन्हा कर रहे हैं। संगीत  संकलन व संचालन श्री सौरभ सक्सेना कर रहे है
 मंच परिकल्पना में सादगी के साथ, अभाव, ग़रीबी एवं मजबूरी को दिखाने की कोशिश की है। इस प्रकार हत्तक की प्रस्तुति न केवल दर्शकों का मनोरंजन करेगी अपितु मंटो की सोच और सशक्त लेखनी से परिचित भी करायेगी।

सीमा मोदी
महासचिव
सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी
7571088629

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