इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी विवाद से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब वर्ष में एक बार श्रृंगार गौरी की पूजा से मस्जिद के चरित्र को कोई खतरा नहीं होता है, तो रोजाना या सप्ताहिक पूजा से मस्जिद के चरित्र में बदलाव कैसे हो सकता है।
बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिन्दू पक्ष में फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने 31 मई 2023 को दिए 65 पेज के अपने फैसले में कहा है कि वर्ष 1990 तक प्रतिदिन मां श्रृंगार गौरी, हनुमान जी व गणेश जी की पूजा अर्चना होती रही है। उसके बाद वर्ष में केवल एक बार पूजा की अनुमति दी गई। कोर्ट ने कहा है कि सरकार या स्थानीय प्रशासन रेगुलेशन से नियमित पूजा की व्यवस्था कर सकते हैं।
कोर्ट ने कहा है कि नियमित पूजा की व्यवस्था किए जाने का कानून से कोई संबंध नहीं है। यह सिर्फ प्रशासन और सरकार के स्तर का मामला है। जस्टिस जेजे मुनीर की सिंगल बेंच ने नियमित पूजा अधिकार के मामले में फैसला सुनाते हुए जिला कोर्ट वाराणसी के आदेश को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब मामले की सुनवाई वाराणसी जिला कोर्ट में होगी।
फैसले में जस्टिस जेजे मुनीर ने कहा कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी विवादित स्थल को वक्फ की संपत्ति बता रही है। जबकि हिंदू पक्षकार वक्फ संपत्ति को कब्जे में सौंपने का स्वामित्व लेने की बात अपने दीवाने मुकदमे में नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे में यह मामला केवल श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस मामले में वक्फ एक्ट 1995 की धारा भी लागू नहीं होती है।
Add Comment