कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में ईद के त्योहार के बीतने के बाद अब ईद की नमाज को लेकर विवाद खड़ा होता दिखाई पड़ रहा है। दरअसल, सड़क पर नमाज पढ़ने वाले करीब 1700 लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गयी है। ये एफ़आईआर 3 थानों में दर्ज हुई हैं। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक विशेष संप्रदाय के लोगों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है।
पुलिस के मुताबिक 22 अप्रैल को ईद के मौके पर सुरक्षा को देखते हुए धारा-144 लागू की गयी थी। इसके अलावा नमाज सिर्फ ईदगाह और मस्जिद के अंदर ही पढ़ने की बात कही गयी थी किसी को भी सड़क पर नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी गयी। लेकिन रोक के बावजूद लोग सड़क पर ही चटाई बिछाकर नमाज पढ़ने लगे। जिसके बाद जाजमऊ में 200 से 300, बाबूपुरवा में 40 से 50, बजरिया में 1500 नमाजियों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की गई है। इनमें ईदगाह कमेटी के सदस्य भी शामिल हैं।
इस मामले में सड़क पर नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ धारा-186 (सरकारी काम में बाधा डालना, धारा-188 (धारा-144 का उल्लंघन कर भीड़ जुटाना), धारा-283 (भीड़ जुटाकर रास्ता रोकना), धारा- 341 (सदोष अवरोध) और लोक सेवा में बाधा डालना और धारा- 353 के तहत एफ़आईआर दर्ज की गयी। सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान की जा रही है।
पुलिस की कार्रवाई पर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बोर्ड के सदस्य मो. सुलेमान ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक संप्रदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि राष्ट्र किसी एक धर्म का हो गया है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान का आर्टिकल-19 सभी समुदायों की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक चीजों का संरक्षण करता है, लेकिन यह सरकार तो संविधान से चल ही नहीं रही है। योगी की सरकार संविधान की धज्जियां उड़ा रही है।
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