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यूपी में माफियाओं की विदाई, बिहार में बाहुबलियों की रिहाई 

 

एक ओर यूपी में माफियाओं और गुंडों की विदाई हो रही है तो वहीं दूसरी ओर बिहार में बाहुबलियों की रिहाई हो रही है। कहा जाता है, देश की अदालतें जल्दी न्याय नहीं देतीं।इसीलिए आज-कल देश में एनकाउंटर को ही न्याय समझा जाता है। मगर क्या हो, जब अदालत न्याय दे दे और सत्ता में बैठे लोग उस फैसले को ही बदल दें।

क्या है पूरा मामला

जी हां, ऐसा ही कुछ हुआ है बिहार की राजनीति में, बिहार में नीतीश कुमार जेल के कानूनों को बदल कर माफियाओं को रिहा कर रहे हैं। दरअसल हम बात कर रहे हैं, बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की। बीते कई साल से आनंद मोहन, गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की हत्या के जुर्म में सज़ा काट रहे हैं।. यही नहीं आनंद मोहन के साथ 27 और कैदियों की रिहाई होने जा रही है। इसे लेकर बिहार की सियासत का पारा चढ़ गया है। जहां जदयू, राजद इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं। वहीं भाजपा का एक धड़ इसका विरोध कर रहा है।

यूं तो आनंद मोहन सिंह पर कई मामलों में आरोप लगे। अधिकतर मामले या तो हटा दिए गए या वो बरी हो गए। लेकिन 1994 में एक गैंगस्टर के मारे जाने पर गोपालगंज की जनता आक्रोशित हो गयी थी। तब रास्ते से जा रहे तत्कालीन डीएम आईएएस जी कृष्णैया की भीड़ ने पिटाई की और गोली मारकर हत्या कर दी। आरोप लगा कि ये हत्या आनंद मोहन द्वारा कराई गई है। हत्या के लिए उन्हें मौत की सज़ा सुनाई गयी जिसे 2008 में उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया था। आजाद भारत में वो पहले नेता बने जिन्हें कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी। अब बिहार की महागठबंधन सरकार ने जेल के नियमों में ढिलाई कर आनंद मोहन के रिहा होने का रास्ता साफ़ हो गया है। आनंद मोहन ने अपने राजनीतिक जीवन सवर्णों के लिए कई मोर्चे खोले।

सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने बिहार सरकार की निंदा की 

कयास लगाए जा रहे हैं कि आनंद मोहन जेल से निकलकर एक्टिव राजनीति का रुख करेंगे और आरजेडी ज्वाइन करके 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। आपको बता दें, इस फैसले के खिलाफ सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने नाराजगी जाहिर की है। एसोसिएशन ने अपने बयान में बिहार सरकार की निंदा करते हुए कहा कि ये फैसला सही नहीं है। यह बहुत ही निराश करने वाला है। मृतक आईएस की पत्नी नाराज उमा देवी ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

यूपी में माफियाओं की विदाई, बिहार में रिहाई

वहीं भाजपा का रुख इस मुद्दे पर अभी साफ नहीं है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आनंद मोहन को बेचारा करार देते हुए आनंद मोहन बलि के बकरे बन गए थे। उनकी रिहाई हुई है तो कई बड़ी बात नहीं है। उनके इस बयान से एक सवालिया निशान भी खड़ा होता है कि एक तरफ जहाँ उत्तर प्रदेश में भाजपा माफियाओं और अपराधियों पर अपने सख्त तेवर दिखा रही है। वहीं नीतीश सरकार के इस फैसले पर नर्म तेवर अख्तियार की हुई है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो बीजेपी की ये ख़ामोशी राजपूतों को नाराज़ न करने के लिए हैं।

आपको बता दें, आनंद मोहन को राजपूतों की जातिगत राजनीति का बड़ा नाम माना जाता है। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती की बात करें तो आनंद मोहन की रिहाई पर वो भड़क उठी हैं। बिहार की नीतीश सरकार को उन्होंने दलित विरोधी करार दिया है। अब देखने वाली बात होगी कि तमाम विपक्ष जो उत्तर प्रदेश सरकार की माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही को गलत बताते हैं। वो अब बिहार में संविधान की दुहाई देकर इस फैसले का विरोध करते हैं या नहीं।

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