आज के इस दौर में यदि दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो वह व्यक्ति दिन रात एक कर सभी विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए मुकाम हासिल कर लेता है। लेकिन यदि वही व्यक्ति जिसका एक हाथ नहीं है और दूसरे हाथ की सिर्फ तीन अंगुलियां होने के अलावा दोनों पैरों से अपाहिज व्यक्ति एक आईएएस की परीक्षा पास कर ले, तो ऐसे में वह और उसके परिवार वाले कितने खुश होते हुए नजर आएंगे।
यह कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है, जनपद मैनपुरी के कस्बा कुरावली के मोहल्ला घरनाजपुर निवासी रमेश कुमार तिवारी के बड़े पुत्र सूरज तिवारी उर्फ रजत ने ऐसा ही कर कर दिखाया है। जिन्होंने पहले ही प्रयास में सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर 917 वीं रैंक हासिल कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
यहां की शिक्षा प्राप्त
यदि हम सूरज की शिक्षा को लेकर बात करें तो उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कस्बा कुरावली स्थिति परशुराम मेमोरियल पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। जिसके बाद 12 वीं तक की शिक्षा मैनपुरी के एसबीआरएल सीनियर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की थी। वहीं उनके स्नातक की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने जेएनयू से रशियन भाषा से की थी। वहीं पीएचडी करने के लिए भी उनका नंबर आ गया है।
पिता की तीन संतानों में हैं सबसे बड़े
आपको बता दें कि सूरज तिवारी अपने माता पिता की तीन संतानों में सबसे बड़ी संतान हैं। वह दो भाई और एक बहन हैं। जिनकी बहन सृष्टि अभी बीटीसी की पढ़ाई कर रही है। जिसके साथ ही सबसे छोटा भाई राघव बीएससी के द्वितीय वर्ष में है।
2017 में हो गए थे रेल हादसे का शिकार
वहीं सूरज के पिता ने जानकारी देते हुए बताया कि मेरा बेटा दिल्ली में रहकर प्राइवेट नौकरी कर रहा था। जहां से वह 29 जनवरी 2017 को रेल में सवार होकर घर वापस आ रहा था। दादरी पर किसी ने मेरे बेटे को रेल से धक्का मार दिया और उसके दोनों पैर और एक दायां हाथ पूरा कट गया। जिसके अलावा उसके दूसरे बाएं हाथ की दो अंगुलियां कट गईं।
चार माह चला था एम्स में उपचार
हादसे के बाद दिल्ली एम्स में उसका चार माह तक उपचार चला। जिसके बाद सूरज ने बिना हाथ और पैर के ठीक हो गया। वहीं इलाज के दौरान उसकी मुलाकात बिहार के रहने वाले प्रकाश से हुई। जिन्होंने सूरज की काफी मदद की।
भगवान बनकर मेरे बेटे की जिंदगी में आए प्रकाश
सूरज के पिता ने बताया कि मेरे बेटे का दिल्ली के एम्स में उपचार चल रहा था। उसी दौरान बिहार के रहने वाले प्रकाश से मेरे बेटे की मुलाकात हुई। प्रकाश ने मेरे बेटे को अपने पास रखकर अपने ही खर्चे पर पढ़ाया, लिखाया और आज मेरे बेटे ने जो भी सफलता हासिल की है। वह सब प्रकाश की ही देन है। हमें तो ऐसा लगता है कि प्रकाश मेरे परिवार और मेरे बेटे के लिए भगवान बनकर आए हैं।
पिता दर्जी हैं और माता गृहणी
सूरज के पिता एक टेलर मास्टर हैं। वे कपड़े सिलकर परिवार की भरण-पोषण करते थे। वहीं सूरज की मां गृहणी हैं वह घर का कामकाज कर उन कपड़ों में काज बटन लगाकर सूरज के पिता का हाथ बटाती थीं। सूरज के पिता के पास एक बीघा जमीन है।
मौके पर पहुंचे एसडीएम कुरावली
यहां के एसडीएम को जैसे ही पता चला कि कुरावली के रहने वाले सूरज तिवारी ने यूपीएससी की परीक्षा प्रथम बार में ही उत्तीर्ण की है। वे सूरज तिवारी के घर पर उनके माता-पिता को बधाई व मिठाई खिलाने पहुंचे और उन्होंने पूरे परिवार को बहुत-बहुत शुभकामनाएं दीं।
रिपोर्ट- गौरव पाण्डेय
जनपद मैनपुरी
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