नई दिल्ली। तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने 64 साल बाद आखिरकार रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त कर ही लिया। यह पुरस्कार देने के लिए रेमन मैग्सेसे की टीम खुद हिमाचल स्थित उनके घर पहुंची। रेमन मैग्सेसे पुरस्कार दलाई लामा मिलने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय सम्मान था। लेकिन चीन की वजह से वह इसे ले नहीं पाये थे।
दरअसल, पुरस्कार तिब्बती समुदाय के लिए संघर्ष करने और तिब्बती संस्कृति को प्रेरणा दिलाने के लिए 1959 में दलाई लामा को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड देने की घोषणा हुई थी। हालांकि उस समय चीन द्वारा तिब्बत में बौद्ध धर्म के अनुयायियों को प्रताड़ित करने के चलते दलाई लामा को तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। जिसके बाद वह यह सम्मान लेने वापस तिब्बत नहीं जा सके। हालांकि दलाई लामा के बड़े भाई ग्यालो थोंडेन ने समारोह में जाकर पुरस्कार ग्रहण किया था।
बता दें कि रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड को एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। यह फिलीपींस के 7वें राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की याद में दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1957 में की गई थी। सामाजिक सुधार के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले लोगों को यह पुरस्कार दिया जाता है।
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