लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में शिव-पार्वती के दर्शन के लिये श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही शुरू हो गई। शिवालों के द्वार कल रात 12 बजे से ही खोल दिये गये थे। यहां की सबसे खास बात ये है कि इस मंदिर की महंत महिला हैं और यहां लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है।
महाशिवरात्रि पर मनकामेश्वर में दर्शन करने के लिये हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ पहुंची। शिव-पार्वती विवाहोत्सव में महिलाओं ने हल्दी की रस्म अदा की। इसके साथ मंदिर परिसर में नंदी महाराज विधि विधान से स्थापित किए गए। रात बजे से ही शिवालों के पट खोल दिए गए थे। देर रात से ही शिव भक्त मंदिरों में दर्शन करने के लिये इकट्ठा होने लगे थे।
ये है मंदिर का इतिहास
गोमती नदी किनारे स्थित इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह मनकामेश्वर मन्दिर का इतिहास रामायण काल का है। मां सीता को वनवास छोड़ने के बाद जब लक्ष्मण अयोध्या वापस जा रहे थे तो उनका मन बहुत परेशान और विचलित था। उदास मन से लक्ष्मण ने गोमती तट पर रात भर विश्राम किया और सुबह वहां भगवान शिव की आराधना की जिसके बाद उनके मन को शांति मिली। इसके बाद ही यहां शिव मंदिर का निर्माण हुआ। यहां मांगी हुई हर मनोकामना पूरी होती है इसीलिए इसका नाम मनकामेश्वर रख दिया गया।
इस मंदिर की महंत एक महिला हैं
मनकामेश्वर मंदिर की एक और खासियत ये है कि इस मंदिर के मठ को संभालने वाली एक महिला महंत हैं, जिनका नाम महंत देव्यागिरी है। देव्यागिरी ने 2008 में 28 वर्ष की आयु में इस मंदिर के मठ की गद्दी संभाली थी। ये उत्तर प्रदेश की पहली महिला महंत हैं और लखनऊ की अकेली महिला महंत हैं जो मंदिर को संभाल रही हैं।
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